Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Sep, 2022 11:23 AM
चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, जो एशियाई महाद्वीप के पूर्व में स्थित है। इसकी राजधानी बीजिंग है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की
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Taiwan and china war: चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, जो एशियाई महाद्वीप के पूर्व में स्थित है। इसकी राजधानी बीजिंग है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। पिछले दो-तीन दशकों में चीन द्वारा 18,000 किमी समुद्र तट का उपयोग निर्यात-उन्मुख व्यापार के लिए किया गया है, इस कारण चीन की क्षमता पूरी तरह बदल गई है। इस वजह से चीन दुनिया के कारोबारी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में दबदबा दिखाने लगा। चीन अपने पड़ोस में सप्रभुता को लेकर कहीं ज्यादा आक्रामक तरह से दावेदारी करने लगा। चीन ने अपनी ताकत में बेशुमार इजाफा कर लिया है। उसके पास सैकड़ों जहाज हैं, संख्या में वह अमेरिका से भी आगे है। आधुनिक विमानों के मामले में चीन अमेरिका के बराबर हैं।
चीन और ताइवान के बीच की तल्खी बहुत पुरानी है। 1990 के दशक से ताइवान की अलग पहचान उभरने लगी। बीजिंग को ये बात खतरे की तरह लगती है कि ताइवान के लोग अपनी पहचान चीन से अलग देखने लगे हैं, किन्तु ताइवान को मिल रहे अमेरिकी समर्थन की वजह से चीन अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाता। अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने चीन को एक बार फिर भड़का दिया है। नैंसी की ताइवान यात्रा से चीन इस कदर भड़का हुआ है कि इस द्वीप के चारों तरफ पानी और आसमान में जबरदस्त युद्धाभ्यास कर चेतावनी दे रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहले ही कह चुके हैं कि वह ताइवान को बलपूर्वक भी चीन का हिस्सा बना सकते हैं। वहीं नैंसी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा के दौरान चीन को सख्त संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका, ताइवान को अकेला नहीं छोड़ेगा। अमेरिका हर परिस्थिति में ताइवान के साथ है। बढ़ते तनाव के बीच ये सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में युद्ध छिड़ सकता है?
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ताइवान:- ताइवान पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीप है। ताइवान की राजधानी ताइपे है, यह देश का वित्तीय केन्द्र भी है और यह नगर देश के उत्तरी भाग में स्थित है। ताइवान चीन से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ताइवान की पूर्व दिशा की ओर एक भारी जंगल वाली पर्वत श्रृंखला से बना है, जो उत्तर से दक्षिण तक 395 किमी दूरी तक फैला हुआ है। पर्वत श्रृंखला के पश्चिम में उपजाऊ मैदान और बड़े-बड़े शहर हैं।
चीन के वास्तुदोषों का विश्लेषणः- चीन की पश्चिम दिशा, दक्षिण दिशा और नैऋत्य कोण में हिमालय है। उसकी तुलना में पूर्व दिशा में निचाई है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, पूर्व और आग्नेय निचले हों और वायव्य तथा पश्चिम ऊंचे हों तो देश के शासक को कई शत्रुओं, झगड़ों और मानसिक व्यथाओं का सामना करना पड़ता है। इसीलिए चीनी जनवादी गणराज्य को कभी-कभी सीमा विवादों द्वारा चुनौती दी जाती है, विशेष रूप से ताइवान द्वारा। अगर नैऋत्य ऊंचा हो, आग्नेय, वायव्य और ईशान निचले हों तो देश का धन नष्ट होता है और जनता का अनिष्ट होता है। मंगोलिया के कारण चीन की उत्तर दिशा कटी हुई है। इसी कारण राजनैतिक परिवेश में चीन को अपयश का सामना भी करना पड़ता है। चीन का ईशान कोण बढ़ा हुआ है। इसीलिए इसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है।
ताइवान के वास्तुदोषों का विश्लेषण:- ताइवान में जहां एक ओर पूर्व दिशा में ऊंची पर्वत शृंखलाएं हैं, वास्तुशास्त्र के अनुसार ये ऊंची पर्वत शृंखलाएं किसी भी कारण कभी भी बड़ी धन-हानि का कारण बनेंगी। वहीं दूसरी ओर दक्षिण दिशा के साथ मिलकर आग्नेय कोण में बढ़ाव है, इस वास्तुदोष के कारण यहां झगड़े होंगे तथा अशान्ति बनी रहेगी। चीन की तरह ताइवान का भी ईशान कोण बढ़ा हुआ है इसीलिए ताइवान की आर्थिक स्थिति भी अच्छी है।
वास्तु से यह तो नहीं बताया जा सकता है कि चीन और ताइवान के बीच अभी युद्ध छिड़ेगा कि नहीं पर चीन और ताइवान की भौगोलिक स्थिति देखकर यह जरूर बताया जा सकता है कि जब भी युद्ध छिड़ा तो दोनों ही देश बर्बादी का सामना करेंगे, क्योंकि दोनों की भौगोलिक स्थिति में महत्वपूर्ण वास्तुदोष हैं। युद्ध में ताइवान को ही ज्यादा नुकसान होगा, चाहे अमेरिका ताइवान की कितनी ही सैन्य मदद करें।
वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com