Vinayak Chaturthi: कल है साल की अंतिम विनायक चतुर्थी, ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Dec, 2021 08:42 AM

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वैसे तो चतुर्थी तिथि माह में दो बार आती है तो सबसे पहले मैं आपका मार्गदर्शन करता हूं चतुर्थी तिथि के बारे में। जो भी चतुर्थी तिथि किसी भी माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है उसे संकष्टी चतुर्थी के नाम

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Vinayak Chaturthi 2021: वैसे तो चतुर्थी तिथि माह में दो बार आती है तो सबसे पहले मैं आपका मार्गदर्शन करता हूं चतुर्थी तिथि के बारे में। जो भी चतुर्थी तिथि किसी भी माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है उसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से संबोधित किया गया है और जो चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष को आती है उसे विनायक चतुर्थी के नाम से संबोधित किया जाता है। सनातन धर्म में अन्तर्गत कोई भी कार्य आरम्भ करने से पहले श्री गणेश जी के पूजन का विधान है तथा उन्हें विध्नहर्ता भी कहा गया है। कोई भी कार्य निर्विध्न पूर्ण हो इसलिए सर्वप्रथम श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है। मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी है, जो कि 7 दिसंबर 2021 को मंगलवार के दिन मनायी जायेगी। चतुर्थ तिथि का समय 7 दिसंबर प्रातः 02:34 से रात्रि 11:42 तक रहेगा। इस दिन यह चतुर्थी मंगलवार के दिन रहेगी। जिस कारण इस चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी भी कहा जायेगा। 

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गणेश जी की पूजा-अर्चना करने का समय दोपहर का उपयुक्त रहेगा। प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर श्री गणेश के समक्ष व्रत का संकल्प लें। उनका पूजन पीले वस्त्र पहन कर करें। श्री गणेश को लाल सिंदूर से तिलक करें व धूप, दीप, चावल, दूर्वा, लड्डू, मोदक इत्यादि पदार्थो का भोग लगाएं। श्री गणेश जी की स्तुति करें व अंत में उनकी आरती करके व्रत व पूजन को पूरा करें। 

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किसी भी चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन की भी मनाही होती है क्योंकि चंद्रमा ने अपने सौंदर्य के कारण श्री गणेश जी का उपहास किया था। परिणामस्वरूप श्री गणेश जी ने चंद्र को श्राप भी दिया था कि चतुर्थी तिथि पर जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर दोषारोपण लगेगा और इस श्राप का प्रभाव प्रत्येक चतुर्थी पर रहेगा। चंद्रमा के क्षमा याचना करने पर उन्होंने इस श्राप में संशोधन करते हुए कहा कि - सिर्फ भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को ही मेरे इस श्राप का पूर्ण प्रभाव रहेगा तथा अन्य सभी चतुर्थीयों पर इसका प्रभाव कम होगा। जो भी व्यक्ति उस दिन मेरी पूजा अर्चणा पूरे भाव से करेगा तो उस दिन उसको चंद्र दर्शन से लगने वाले दोषारोपण का प्रभाव नहीं हो पायेगा। तभी से ही चतुर्थी तिथि के दिन श्री गणेश जी की पूर्जा अर्चणा का विधान के रूप में स्थापिता हो गया। तो आप सभी से अनुरोध है कि आज के दिन चंद्र दर्शन न किया जाए ताकि आप मिथ्या आरोपों से बच सकें। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण जी को भी चतुर्थी पर चंद्रदर्शन करने से लगा था स्यमन्तक मणि चोरी करने का मिथ्या आरोप। 

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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