Vinayak Chaturthi Vrat: जुलाई में कब रखा जाएगा विनायक चतुर्थी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Edited By Updated: 08 Jul, 2024 09:11 AM

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पंचांग के अनुसार, हर माह में दो बार चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। एक चतुर्थी तिथि कृष्ण पक्ष तो दूसरी शुक्ल पक्ष में होती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी

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Vinayak Chaturthi Vrat 2024: पंचांग के अनुसार, हर माह में दो बार चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। एक चतुर्थी तिथि कृष्ण पक्ष तो दूसरी शुक्ल पक्ष में होती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 9 जुलाई 2024 मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन गणपति जी की पूजा करने का विधान है। इस विशेष दिन पर गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति को हर प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं। तो आइए जानते हैं आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-

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Vinayak Chaturthi 2024 Shubh Muhurat विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 जुलाई सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर शुरू हो रही है और इसका समापन 10 जुलाई सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ माह में विनायक चतुर्थी व्रत 09 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।

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Vinayak Chaturthi 2024 Importance विनायक चतुर्थी महत्व
शास्त्रों में विनायक चतुर्थी को बहुत ही खास माना जाता है। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने से पहले गणपति जी की पूजा की जाती है। इन्हें  ज्ञान और बुद्धि का देवता कहा जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने और व्रत रखने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से करें बप्पा की पूजा।

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Vinayak Chaturthi 2024 Puja Vidhi विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करके व्रत का संकल्प लें।
फिर एक चौकी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
अब गणेश जी को दूर्वा, फूल, अक्षत और चंदन अर्पित करें।
इसके बाद गणेश जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और गणेश चालीसा का पाठ करें।
फिर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें और मोदक का भोग लगाएं।

अंत में आरती करें और सारे परिवार में प्रसाद बांट कर खुद लें।

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