Yatra- आईए करें, मुम्बई में स्थित ‘काशी’ का दर्शन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Jan, 2021 10:21 AM

visit walkeshwar temple banganga in malabar hills mumbai

बहुत से पाठकों को पता नहीं होगा कि मुम्बई में भी एक काशी है, यह है दक्षिण मुम्बई में मालाबार हिल स्थित बाणगंगा कुंड। इस 115 और 40 मीटर के कुंड के चारों ओर 23 मंदिर हैं।

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Visit Walkeshwar Temple Banganga in Malabar Hills Mumbai: बहुत से पाठकों को पता नहीं होगा कि मुम्बई में भी एक काशी है, यह है दक्षिण मुम्बई में मालाबार हिल स्थित बाणगंगा कुंड। इस 115 और 40 मीटर के कुंड के चारों ओर 23 मंदिर हैं। इसकी छटा काशी की तरह है। यहां जाइए तो लगता है हम काशी के किसी घाट पर आ गए हैं। स्नान परिक्रमा, विभिन्न धार्मिक विधियों की छटा से बाणगंगा, वालकेश्वर क्षेत्र को ‘मुम्बई की काशी’ कहा जाता है। वालकेश्वर इलाके की रचना बाणगंगा कुंड के रूप में हुई।

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Story of Baan Ganga: मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जब सीता जी को खोजने के लिए पंचवटी से निकले तो यहीं पहुंचे थे। यहां उन्हें प्यास लग गई थी। उन्होंने प्यास बुझाने के लिए लक्ष्मण से पानी मांगा लेकिन समुद्र का पानी खारा होने के कारण लक्ष्मण ने जमीन पर बाण मार कर गंगा की धार प्रस्तुत की और उसका मीठा जल श्री राम को पीने के लिए दिया।

तब से इस जगह को बाण से प्रकट हुई गंगा यानी बाणगंगा कहा जाता है। शिलहार राजाओं ने  810 से 1260 ईस्वी के बीच इसके चारों तरफ ऊंची बैठकों वाली सीढ़ीनुमा रंगभूमि का निर्माण करवाया।

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Baan Ganga Temple: कुंड की वजह से प्राचीन काल में इसका नाम ‘श्री कुंडी’ और फिर अपभ्रंश के रूप में ‘श्री मुंडी’ प्रचलित हो गया। इन राजाओं ने ‘श्री मुंडी’ मंदिर सहित चार मंदिरों का निर्माण करवाया, इसमें शीर्षभाग पर रेत-बालू से प्रकट हुए स्वयंभू महादेव भी थे। इस तरह नाम पड़ा वालकेश्वर।

Walkeshwar Banganga Tank and Temple: धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री राम और लक्ष्मण जब यहां पधारे तो लक्ष्मण काशी से शिवलिंग लेकर आए थे, जिसे उन्होंने यहां स्थापित कर दिया। गुजरात और बीजापुर के सुल्तानों द्वारा बार-बार किए गए हमलों से वालकेश्वर मंदिर नष्ट हो गया।

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When was Walkeshwar Temple built: इसका पुनर्निर्माण शिलहार राजाओं के समय में हुआ। अंबरनाथ ने शिवालय बनाने वाले (सन 1060) में शिलहार राजाओं ने वालकेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया जबकि आज का मंदिर तत्कालीन मराठी सेना के बड़े सरकार रामजी कामत ने निर्मित करवाया। इस बारे में उन्हें सन 1798 में ‘ईश्वरीय आदेश’ मिला था। उन्हीं की दान राशि से कुंड का भी पुनर्निर्माण हुआ जिसे 1127 में शिलहार राजा के मंत्री लक्ष्मण प्रभु ने बनवाया था।

Walkeshwar Temple Mumbai India: वालकेश्वर की मान्यता श्री क्षेत्र के रूप में है। तीर्थ के रूप में वालकेश्वर का उल्लेख वालकेशो महाश्रेष्ठो बाण गंगा सरस्वती श्लोक के रूप में स्कंद पुराण के सह्यद्रि खंड के वालकेश्वर महात्म्य में भी मिलता है।

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Walkeshwar Temple History: दक्षिण मुम्बई का रेतीला तट 11वीं सदी के बीच में कोलाबा से वालकेश्वर तक फैला था। यहां कुछ मंदिर और मठ भी थे जिनमें साधु, संन्यासी, योगी निवास करते थे। यहां के मूल निवासी शेणवी या गौड़ सारस्वत समुदाय के थे। बाबुलनाथ मंदिर और बाणगंगा कुंड के निकट तकरीबन 33 मंदिर, धर्मशाला, मठ  और समाधियां उन्हीं के या उनकी मंजूरी से औदित्य, भाटिया, कपोल आदि समुदाय के दानवीरों ने निर्मित करवाए हैं और इसीलिए बाणगंगा वालकेश्वर क्षेत्र मुम्बई की काशी कहलाता है।

धार्मिक मान्यता है कि बाणगंगा कुंड में पानी पाताल लोक से आता है और यह गंगा की एक धार है। इसीलिए मुम्बई और आसपास के लोग इसमें स्नान करके पाप मुक्त होते हैं तथा साधु संन्यासी इसमें नियमित स्नान करते हैं। साथ ही श्रद्धालु अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए यहां पिंडदान भी करते हैं। बाणगंगा के आसपास परिक्रमा, पूजा, पाठ, हवन सहित विविध धार्मिक गतिविधियां चलती ही रहती हैं।

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Connection of Ramayan and mumbai: बाणगंगा और वालकेश्वर का मतलब यह है कि मुम्बई पर रामायण का गहरा प्रभाव है। न केवल रामायण काल बल्कि परेल में छठी सदी की एक भव्य शिव मूर्ति मिल चुकी है। एलिफेंटा की मुख्य गुफा में एक महेश मूर्ति है जो देश के सर्वोत्तम शिल्पों में से एक है।

कान्हेरी बौद्ध केंद्र है और मुम्बई पर शासन करने वाले यादव, मौर्य, सातवाहन, शक-सत्रप, वाकाटक, चालुक्य, कलचुरी व शिलहार नरेशों के समय भी मुम्बई में धर्म प्रचार और रक्षा का कार्य चलता रहा था।

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