Edited By Lata,Updated: 14 Jul, 2019 06:30 PM
एक ग्रह द्वारा दूसरे को ग्रस्त कर लेने का नाम ही ग्रहण है। यह चंद्र ग्रहण आषाढ़ पूर्णिमा मंगलवार को दिखाई देगा।
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एक ग्रह द्वारा दूसरे को ग्रस्त कर लेने का नाम ही ग्रहण है। यह चंद्र ग्रहण आषाढ़ पूर्णिमा मंगलवार को दिखाई देगा। 16 जुलाई, 2019 की मध्य रात्रि को खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा। भारत में 16 जुलाई को रात्रि 1.32 बजे इस ग्रहण का आरंभ होगा और इसका समापन अर्धरात्रि के बाद प्रात: 4.30 बजे होगा।
यह ग्रहण भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, जापान, आस्ट्रेलिया, मलेशिया, ईरान, न्यूजीलैंड, यूरोप, दक्षिणी अमरीका इत्यादि में दिखाई देगा। ग्रहण धनु राशि एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आरंभ हो रहा है तथा मकर राशि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में समाप्त होगा। भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का सूतक 16 जुलाई, 2019 को 4/31 बजे आरंभ होगा।
सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, हास्य-विनोद, खाना-पीना, निद्रा, तेल लगाना वर्जित है। वृद्ध, रोगी, बालक को भोजन एवं दवाई लेने में दोष नहीं।
गर्भवती स्त्री को ग्रहण देखने से बचना चाहिए तथा ग्रहण से पहले खाद्य सामग्री में तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिएं।
ग्रहण के सूतक और ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, मंत्र सिद्धि, तीर्थ स्नान-ध्यान, हवन आदि धार्मिक अनुष्ठानों तथा अन्य शुभ कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होता है।
धनु पर लगेगा ग्रहण, वृष, मकर के लिए अशुभ ग्रहण का लोक भविष्य एवं प्रभावः
यह ग्रहण आषाढ़ मास में घटित होने से राजनेताओं, राज स्त्री, राजा तथा मदिरा सेवन करने वालों एवं भ्रष्टाचारियों के लिए पीड़ा, कष्ट देने वाला होगा। उपद्रव, हिंसक घटनाओंं, साम्प्रदायिक टकराव के प्रबल योग हैं। जनता कष्टकारी स्थिति से गुजरेगी और भारत को पड़ोसियों (चीन-पाकिस्तान) से चुनौती मिलेगी जो भारत और पाकिस्तान के लिए पीड़ादायक एवं कष्टकारक सिद्ध होगा।
खंडग्रास चंद्रः
ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र वाले जातकों तथा वृष, धनु एवं मकर राशि वाले जातकों के लिए कष्टदायक होगा। तुला एवं कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ एवं उच्च पद यश-वैभव का डंका बजाने में तथा ताज पहनने के योग बनेंगे।
कुछ खास उपायः
ग्रहण का प्रभाव किसी भी राशि पर 60 दिन के अंदर-अंदर प्रकट होता है, जिन राशि वालों को ग्रहण शुभ नहीं है, ऐसे जातक अपने ईष्ट देव या भगवान शंकर की भक्ति की उपासना करें एवं ग्रहण निवारण के लिए नीचे लिखे उपाय करें।
ग्रहण स्वयंसिद्ध मुहूर्त है जब चंद्र ग्रहण लगे तब दूध,चावल, चीनी, रुद्राक्ष, मोती, चांदी के चंद्र मूर्ति, नारियल, दक्षिणा सहित सफेद वस्त्र में बांध कर मालपुए एवं खीर सुपात्र ब्राह्मणों को सम्मान सहित दान दें।
अपने वजन के बराबर सतनाजा पक्षियों को खिलाएं या बहते जल में विसर्जन कर दें तथा 101 कौओं, कुत्तों, गाय को खिलाएं।
ग्रहण के समय गंगा स्नान एवं अपनी राशि अनुसार रुद्राक्ष पहनने का विशेष महत्व है।
पं. अशोक प्रेमी बंसरीवाला (नारनौल)