CM योगी ने श्री गोरखनाथ मंदिर में विधि वत रूप से की स्कंदमाता की पूजा अर्चना

Edited By Updated: 10 Oct, 2021 02:31 PM

yogi kamal nath worshiped in shakti temple of skandmata

गोरखपुर: देश भर में आज शारदीय नवरात्रि के पंचम दिन के उपलक्ष्य में देवी स्कंदमाता की पूजा की जा रही है। जहां एक तरफ देश में स्थित मां के मंदिरों में लग रही श्रद्धालुओं की भीड़ सुर्खियों में बनी है तो वहीं खबर

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गोरखपुर:
देश भर में आज शारदीय नवरात्रि के पंचम दिन के उपलक्ष्य में देवी स्कंदमाता की पूजा की जा रही है। जहां एक तरफ देश में स्थित मां के मंदिरों में लग रही श्रद्धालुओं की भीड़ सुर्खियों में बनी है तो वहीं खबर आई है योगी आदित्य कमलनाथ से जुड़ी हुई है। खबरों के अनुसार शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन यानि आज रविवार को श्री गोरखनाथ मन्दिर में परम्परागत रूप से मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ जी ने वैदिक मंत्रों के साथ मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना संपन्न की

बता दें प्रातः 04 बजे से 06 बज तक चली इस पूजा के दौरान योगी कमलनाथ जी ने मंदिर में स्थित समस्त देव विग्रहों का षोडशोपचार पूजा की। इसके अलावा इस दौरान श्री दुर्गा सप्तशती का पाव व देवी पुराण का पाठ मठ के पुरोहित पंडित रामानुज त्रिपाठी के नेतृत्व 11 पंडितों द्वारा संपन्न किया गया। इसके उपरांत विधि वत रूप से आरती सम्पन की गई। 

आरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया। बता दें इस दौरान द्वारिका तिवारी, डॉअरविन्द चतुर्वेदी, डॉ रोहित मिश्र, डॉ दिग्विजय शुक्ल, पुरूषोत्तम चौबे, अरूणेश शाही, बृजेश मणि मिश्र, नित्यानन्द त्रिपाठी, शशि कुमार, शुभम मिश्रा, शशांक पाण्डेय आदि उपस्थित रहें। 

यहां जानें श्री गोरखनाथ मंदिर के बारे में- 
बताया जाता है गोरखनाथ मंदिर नाथ संप्रदाय का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र और पीठ है। तो वहीं नाथ संप्रदाय परंपरा के अनुसार इस स्थान की ऐतिहासिकता त्रेता युग तक जाती है। कहा जाता है इस मंदिर में स्थित गुरु गोरक्षनाथ शिव शंकर के साक्षात अवतार हैं, जिन्होंने त्रेता युग में इस स्थान को अपनी तपोस्थली बनाया था। मान्यता है कि गुरु गोरक्षनाथ जी ने राप्ती तट पर जिस जगह तपस्या की और जहां इनकी दिव्य समाधि है, वहा जगह यानि इसी स्थल पर गोरखनाथ मंदिर की स्थापना की गई। 

बता दें ये गोरखनाथ मंदिर वर्तमान समय में लगभग 52 एकड़ में फैला हुआ है, इस 52 एकड़ में फैले मंदिर परिसर में आस्था और दर्शन के अनेकों स्थल हैं। इनमें अखंड धूनी दर्शनीय है। कहा जाता है कि यह त्रेता युग में गुरु गोरक्षनाथ के समय से जल रहा है, जिसकी राख को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है।   

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