Edited By pooja,Updated: 19 Jun, 2018 09:45 AM
दिल्ली विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2018-19 में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए जारी की गई पहली कटऑफ में पिछले साल के मुकाबले कमी देखने को मिली है और
नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2018-19 में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए जारी की गई पहली कटऑफ में पिछले साल के मुकाबले कमी देखने को मिली है और कुछ हद तक कटऑफ व्यावहारिक रही है। इसके पीछे डीयू प्रशासन के उस मैकेनिज्म को वजह माना जा रहा है, जिसे दो दिन पहले कॉलेजों को एक दूसरे की कटऑफ देखने की सुविधा दी गई।
दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए जारी होने वाली हाईकटऑफ पर मचने वाले बवाल को ध्यान में रखते हुए डीयू प्रशासन इसबार शुरुआत से ही कटऑफ को व्यवहारिक बनाने की कोशिश में लगा हुआ था। सीबीएसई 12वीं परीक्षा में 95 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने वाले छात्रों की संख्या बढऩे और पिछले साल के मुकाबले आवेदकों की संख्या में 50 हजार की बढ़ोतरी बाद भी डीयू कटऑफ को नीचे लाने में कामयाब रहा है।
यह यदि हो पाया तो डीयू द्वारा अपनाए गए नए तरीके, जिसमें उसने सभी कॉलेजों से दो दिन पहले ही अपनी अपनी कटऑफ डीयू के पोर्टल पर डालने के लिए कहा था। इसके साथ कॉलेज आईडी से लॉगइन करने पर कॉलेजों को अन्य कॉलेजों की कटऑफ देखने की सुविधा दी थी और सभी कॉलेजों को एक दूसरे की कटऑफ से मिलान करने के निर्देश दिए थे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि यदि किसी कॉलेज को लगता है कि उसकी कटऑफ अन्य के मुकाबले ज्यादा बढ़ी हुई दिख रही है, तो वह उसे कम कर सकते हैं। डीयू ने कटऑफ में बदलाव का विकल्प भी कॉलेजों को दिया था, जिसका इसबार यह फायदा हुआ कि जिन कॉलेजों को लगा कि उनकी कटऑफ अन्य के मुकाबले ज्यादा जा रही है, उन्होंने अपनी कटऑफ को कम किया और डीयू इसबार कटऑफ को नीचे लाने में कामयाब रहा। साथ ही व्यावहारिक कटऑफ निकालने की कोशिश में भी उसे थोड़ी सफलता मिली।