Exclusive Interview: आंखें खोल देगी ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’

Edited By Updated: 13 Mar, 2019 09:26 AM

exclusive interview with the starcast of film mere pyare prime minister

बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर पहले भी फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन आज रिलीज हो रही ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ दर्शकों की आंखें खोल देने वाली फिल्म है। फिल्म में अंजलि पाटिल, नितीश वाधवा और ओम कनौजिया मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे...

नई दिल्ली। बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर पहले भी फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन आज रिलीज हो रही ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ दर्शकों की आंखें खोल देने वाली फिल्म है। फिल्म में अंजलि पाटिल, नितीश वाधवा और ओम कनौजिया मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे।

‘रंग दे बसंती’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ जैसी फिल्में बनाने वाले राकेश ओमप्रकाश मेहरा इस फिल्म के निर्देशक हैं। राकेश ओमप्रकाश मेहरा और फिल्म की स्टारकास्ट ने दिल्ली में पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...

आम जिंदगी से जुड़ी फिल्म : राकेश ओमप्रकाश 
राकेश ओमप्रकाश मेहरा के मुताबिक, यह आम जिंदगी से जुड़ी हुई फिल्म है। इसका कॉन्सेप्ट भी आम जिंदगी से मिला है। हंसते-हंसते आप कब रोना शुरू कर देंगे और रोते-रोते कब हंसने लगेंगे आपको पता भी नहीं चलेगा। जिस नजरिये से लोग औरतों को देखते हैं, वह मानसिकता बदलने की कहानी है। यह आम आदमी पर आधारित कहानी है जो बहुत ही गहरे सवाल उठाती है।’

सिर्फ कानून से हल नहीं
मेहरा बताते हैं, ‘मैं फिल्म भाग मिल्खा भाग की शूटिंग के दौरान एक बार देर रात गाड़ी लेकर हाईवे पर निकला था। जब मैंने गाड़ी मोड़ी तो हैडलाइट 8-10 महिलाओं पर पड़ी तो वे तुरंत खड़ी हो गईं और अपने कपड़े संभालने लगीं। वह तस्वीर मेरे जेहन में रह गई, हमारी फिल्म उसी सीन से शुरू होती है।

इसके साथ ही मैंने यूनीसेफ  का डाटा पढ़ा तब मुझे पता चला कि हिंदुस्तान में 50 फीसदी से ज्यादा रेप तब होते हैं जब महिलाएं शौच के लिए घर से बाहर जाती हैं। ये बात सिर्फ शौचालय बनाने या फिर कानून की नहीं बल्कि समाज की मानसिकता से जुड़ी है।

फिल्म में स्लम की बच्चियां 
राकेश ओमप्रकाश मेहरा का कहना है, इस फिल्म में मुझे जो दिखाना था, उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए मुझे कुछ नए चेहरे चाहिए थे, जिनका दर्शकों से जुड़ाव हो सके। मैं नहीं चाहता था कि कोई गलत संदेश उन तक पहुंचे। फिल्म की शूटिंग जिन झोपड़पट्टियों में हुई है, वहीं से फिल्म में तीन बच्चों को लिया गया है।

हर किरदार से मिलती है सीख : अंजलि
जलि पाटिल का कहना है, मेरा किरदार ऐसी साहसी महिला का है जो अपनी जिंदगी की सभी चीजों को खुलकर स्वीकार करती है। हर किरदार आपको कुछ ना कुछ सिखाता है। इस किरदार की बात करूं तो इससे मैंने अपनी जिंदगी को और खूबसूरती और जिंदादिली से जीना सीखा है।

अपने फिल्मी करिअर की बात करूं तो मेरा मानना है कि काम बेशक कम हो, पर क्वालिटी होना चाहिए। मैं जैसे-जैसे काम कर रही हूं, वैसे-वैसे पता चल रहा है कि कलाकार बड़ा नहीं होता, कहानी बड़ी होती है और किरदार बड़े होते हैं।

कैमरे से नहीं लगा डर: ओम कनौजिया
म कनौजिया का कहना है, इस फिल्म का सफर काफी अच्छा रहा। फिल्म की शूटिंग के दौरान हमने शैतानियां भी खूब की। मैं पहले शॉर्ट फिल्म कर चुका हूं इसलिए कैमरे का सामना करने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। निर्देशक राकेश ओमप्रकाश ने काफी सहयोग किया। कभी ऐसा नहीं हुआ कि मुझे किसी गलती के लिए डांट पड़ी हो बल्कि हम सभी ने साथ मिलकर खूब मस्ती की।

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