Edited By Pardeep,Updated: 05 Oct, 2022 06:52 AM
यूरोपियन यूनियन (EU) पार्लियामेंट ने मंगलवार को यूनिवर्सल चार्जर नियम लागू कर दिया। मोबाइल फोन, टैबलेट और कैमरे के लिए सिंगल चार्जिंग पोर्ट जरूरी होगा। 2024 तक सभी इलेक्ट्रॉनिक
गैजेट डेस्कः यूरोपियन यूनियन (EU) पार्लियामेंट ने मंगलवार को यूनिवर्सल चार्जर नियम लागू कर दिया। मोबाइल फोन, टैबलेट और कैमरे के लिए सिंगल चार्जिंग पोर्ट जरूरी होगा। 2024 तक सभी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को अपने डिवाइस में टाइप-C चार्जिंग पोर्टल एड करना होगा। एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय लोग सिर्फ चार्जर खरीदने पर हर साल अरबों यूरो खर्च कर रहे थे। पार्लियामेंट में ज्यादातर सांसदों ने इस फैसले का समर्थन किया है। समर्थन में 602 वोट के मुकाबले, विरोध में सिर्फ 13 वोट पड़े।
इस फैसले से आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल पर सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है, क्योंकि आईफोन्स के फोन में USB-C टाइप के चार्जर इस्तेमाल नहीं होते। एप्पल अपने आईफोन्स, आईपैड और एयरपॉड और समेत कई डिवाइस में लाइटनिंग टाईप चार्जर का इस्तेमाल करता है।
इस फैसले के बाद एप्पल को अब आईफोन मॉडल और अन्य उपकरणों के लिए अपना चार्जिंग पोर्ट बदलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। वहीं, इस मामले में एप्पल का कहना है कि यूनिवर्सल चार्जर के आने के बाद इनोवेशन खत्म हो जाएगा और प्रदूषण भी बढ़ेगा। हालांकि इसके पीछे Apple ने वजह नहीं बताई है।
ग्राहकों को फायदा
बताया जा रहा है कि यूरोपीय यूनियन के इस फैसले के बाद मोबाइल कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी। इसका दुनियाभर के देशों पर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें यूरोप के लिए एसबी टाइप-सी चार्जिंग के हिसाब से ही गैजेट बनाने होंगे। मोबाइल कंपनियों को भी सभी स्टैंडर्ड फोन के लिए सिंगल चार्जर नियम का पालन करना होगा। इससे ग्राहकों के सबसे ज्यादा फायदा ये होगा कि उन्हें अलग-अलग मोबाइल के लिए अलग-अलग चार्जर नहीं खरीदना होगा। भारत सरकार भी जल्द इसी तरह का फैसला ले सकती है।
भारत पर क्या असर होगा?
यूरोपियन यूनियन में कुल 27 देश हैं। यूरोपियन यूनियन का यूनिवर्सल चार्जर का नियम भारत पर लागू नहीं होगा। हालांकि जब एपल जैसी कंपनी यूरोपियन यूनियन के देशों के लिए कोई एक चार्जर बनाएगी, तो वही चार्जर वह बाकी दुनिया के देशों के लिए भी बनाना चाहेगी, ताकि उसका खर्च कम हो सके।