फोर्टिस अस्पताल मोहाली ने 80 वर्षीय पुरानी किडनी रोगी की जान बचाई

Updated: 30 Aug, 2025 02:40 PM

fortis hospital mohali saves life of 80 year old chronic kidney patient

फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के डॉक्टरों ने क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) से पीड़ित एक 80 वर्षीय बुज़ुर्ग मरीज की जटिल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की। यह उपचार इन्ट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) मार्गदर्शन के साथ अल्ट्रा-लो कॉन्ट्रास्ट...

नई दिल्ली। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के डॉक्टरों ने क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) से पीड़ित एक 80 वर्षीय बुज़ुर्ग मरीज की जटिल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की। यह उपचार इन्ट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) मार्गदर्शन के साथ अल्ट्रा-लो कॉन्ट्रास्ट एंजियोप्लास्टी तकनीक के माध्यम से किया गया, जो एक अत्याधुनिक विधि है और किडनी को नुकसान पहुँचने के जोखिम को न्यूनतम करती है। इस प्रक्रिया का नेतृत्व डॉ. सुधांशु बुडाकोटी, सीनियर कंसल्टेंट – कार्डियोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने किया, जिन्होंने सटीकता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस उन्नत तकनीक को अपनाया। मरीज को -- दिनों के भीतर स्थिर स्थिति में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। 

रोगी, जो --- का निवासी है, बीते -- वर्षों से क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ से जूझ रहा था। जब उसने फोर्टिस अस्पताल में परामर्श लिया, तब उसके क्रिएटिनिन स्तर बहुत अधिक थे, उसे तेज सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ की भी शिकायत थी। कांवेंशनल एंजियोप्लास्टी उनके लिए अत्यधिक जोखिम भरी होती, क्योंकि उसमें रक्त वाहिकाओं को देखने के लिए कॉन्ट्रास्ट डाई का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान पहुँचने की संभावना होती है। 

इसके विपरीत, अल्ट्रा-लो कॉन्ट्रास्ट तकनीक और आईवीयूएस इमेजिंग के संयोजन से की गई यह प्रक्रिया एक मिनिमली इनवेसिव तरीका है, जिससे डॉक्टर रक्त प्रवाह में रुकावटों का सटीक मूल्यांकन और उपचार कर सकते हैं। इस तकनीक में बहुत ही कम मात्रा में डाई का उपयोग होता है, जिससे किडनी को और नुकसान या डायलिसिस की आवश्यकता से बचा जा सकता है। 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. बुडाकोटी ने कहा कि इस मरीज को गंभीर कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ थी, लेकिन सीकेडी मरीज होने के कारण कांवेंशनल एंजियोप्लास्टी उनकी किडनी की स्थिति को और बिगाड़ सकती थी। आईवीयूएस तकनीक के माध्यम से हम रक्त वाहिकाओं के आकार, रोगग्रस्त हिस्सों की विशेषताएं, स्टेंट की सटीक स्थिति और उसका विस्तार आदि को बहुत कम कॉन्ट्रास्ट के साथ स्पष्ट रूप से देख सके। इससे इलाज सफल रहा और किडनी पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा। 

उन्होंने आगे कहा कि आईवीयूएस और ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) जैसी उन्नत इमेजिंग तकनीकें फोर्टिस मोहाली में नियमित रूप से उन उच्च जोखिम वाले हृदय रोगियों के इलाज में की जाती हैं, जिन्हें पहले एंजियोप्लास्टी के लिए अनुपयुक्त माना जाता था। 

उन्होंने बताया कि ये तकनीकें हमें जटिल मामलों में भी श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करने में मदद करती हैं, चाहे मरीज को सीकेडी जैसी गंभीर सह-बीमारियाँ क्यों न हों। फोर्टिस मोहाली में हम हर मरीज को प्रमाण आधारित और नवाचारयुक्त हृदय देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

आईवीयूएस ध्वनि तरंगों के माध्यम से रक्त वाहिकाओं की आंतरिक संरचना को दिखाता है, जिससे अवरोधों की सटीक माप और स्टेंट की उचित स्थिति सुनिश्चित की जा सकती है। वहीं ओसीटी (ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी) एक अन्य अत्याधुनिक इमेजिंग तकनीक है, जो प्रकाश तरंगों का उपयोग करके कोरोनरी धमनियों की उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियाँ प्रदान करती है, जिससे सटीक निदान और उपचार योजना तैयार करने में सहायता मिलती है। 

विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट्स की टीम और विश्वस्तरीय तकनीकों के उपयोग के साथ, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है और जटिल हृदय स्थितियों वाले उच्च जोखिम वाले मरीजों को उत्कृष्ट उपचार प्रदान कर रहा है।

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