दुश्मनों को चुटकियों में कर दे खत्म, ऐसी 5 खतरनाक तकनीको से लैस है ये मुस्लिम देश

Edited By Updated: 03 Jun, 2025 02:18 PM

military strength of saudi arabia

सऊदी अरब को आमतौर पर लोग उसकी तेल संपदा और इस्लामी दुनिया के धार्मिक केंद्र के रूप में जानते हैं। लेकिन बदलते हालातों में यह देश अब सिर्फ 'तेल के कुओं' तक सीमित नहीं रहा। यमन, सीरिया और इराक जैसे पड़ोसी देशों में जारी संघर्षों ने सऊदी अरब को अपनी...

नेशनल डेस्क: सऊदी अरब को आमतौर पर लोग उसकी तेल संपदा और इस्लामी दुनिया के धार्मिक केंद्र के रूप में जानते हैं। लेकिन बदलते हालातों में यह देश अब सिर्फ 'तेल के कुओं' तक सीमित नहीं रहा। यमन, सीरिया और इराक जैसे पड़ोसी देशों में जारी संघर्षों ने सऊदी अरब को अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए मजबूर किया है। नतीजा ये है कि अब रियाद के पास वो तकनीकें हैं जो किसी भी दुश्मन को मिनटों में धूल चटा सकती हैं। आइए जानते हैं सऊदी अरब की वो पांच खतरनाक हथियार और रणनीतिक तकनीकें, जो इसे मध्य पूर्व की सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति बनाते हैं।

 

1. F-15 फाइटर जेट्स – सऊदी वायुसेना की रीढ़
सऊदी अरब की वायुसेना में अमेरिका से प्राप्त F-15 लड़ाकू विमानों की खास भूमिका है। इनमें F-15A, F-15C और सबसे आधुनिक F-15SA मिलाकर कुल करीब 238 विमान हैं। खास बात ये है कि F-15SA जैसे विमान लंबी दूरी तक बिना हवा में ईंधन लिए मिशन पर जा सकते हैं। ये युद्धक विमान यमन के दक्षिण से लेकर इराक के उत्तर तक हौथी विद्रोहियों और ISIL जैसे संगठनों के खिलाफ हमले करने में कारगर हैं।

2. Paveway IV बम – दुश्मन के लिए सटीक मौत
सऊदी F-15 विमानों के साथ जब Paveway IV जैसे GPS-निर्देशित बम जुड़ते हैं, तो हमला बेहद सटीक और घातक हो जाता है। यह 500 पाउंड वज़नी बम खराब मौसम में भी लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। यमन जैसे संघर्ष क्षेत्रों में इसका प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। F-15 विमान इस बम को बड़ी संख्या में ले जा सकते हैं, जिससे एक ही मिशन में कई ठिकानों पर हमला किया जा सकता है।

3. सऊदी विशेष बल – जमीन पर अदृश्य और अजेय योद्धा
सऊदी अरब के स्पेशल फोर्स यूनिट्स अमेरिकी कमांडो जैसी ट्रेनिंग के साथ तैयार किए गए हैं। ये छिपे मिशन, हथियार आपूर्ति और लड़ाकू प्रशिक्षण में दक्ष हैं। यमन के अदन क्षेत्र में इन्होंने हादी समर्थक बलों को सहायता दी और हौथी विद्रोहियों को पीछे हटाया। अत्याधुनिक युद्ध वाहन जैसे MRAP और Enigma के साथ इनकी जमीनी रणनीतिक पकड़ और भी मजबूत हो जाती है। यही बल सीरिया में ISIL के खिलाफ काम कर रहे सहयोगी गुटों को भी ट्रेनिंग देते हैं।

4. आर्थिक ताकत – जब धन ही बन जाए हथियार
तेल से समृद्ध सऊदी अरब अपनी आर्थिक संपन्नता को सैन्य ताकत में बदलने में माहिर है। 2002 में जहां उसका रक्षा बजट 20 अरब डॉलर था, आज वह 80 अरब डॉलर के पार जा चुका है। इतनी बड़ी रकम से वह दुनिया के सबसे आधुनिक हथियार खरीदता है और अपने दुश्मनों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करता है। इतना ही नहीं, यही पैसा उसे वैश्विक राजनीति में रणनीतिक सहयोगी भी दिला देता है।

5. कूटनीतिक प्रभाव – 'चेकबुक डिप्लोमेसी' की महारत
सऊदी अरब की सबसे छुपी हुई ताकत है उसका कूटनीतिक प्रभाव, जिसे 'चेकबुक डिप्लोमेसी' कहा जाता है। वह अपने पैसे से कई देशों को समर्थन में ले आता है। मिस्र, पाकिस्तान, बहरीन, जॉर्डन और यहां तक कि अमेरिका भी कई बार उसकी आर्थिक मदद पर निर्भर रहे हैं। चाहे आतंकवाद विरोधी अभियान हो या सैन्य अड्डों की मेज़बानी, सऊदी पर्दे के पीछे रहकर प्रभावशाली भूमिका निभाता है और मध्य पूर्व में संतुलन बनाए रखता है।

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