Edited By Pardeep,Updated: 04 Sep, 2025 11:16 PM

पहले ही भयंकर भूकंप से जूझ रहे अफगानिस्तान को गुरुवार को एक और झटका लगा। 6.2 तीव्रता का यह तीसरा भूकंप जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के अनुसार दक्षिण-पूर्वी अफगानिस्तान में आया, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर थी।
इंटरनेशनल डेस्कः पहले ही भयंकर भूकंप से जूझ रहे अफगानिस्तान को गुरुवार को एक और झटका लगा। 6.2 तीव्रता का यह तीसरा भूकंप जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के अनुसार दक्षिण-पूर्वी अफगानिस्तान में आया, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। यह तीसरा झटका है जो रविवार से लगातार उसी इलाके में महसूस किया गया है। भूकंप के यह झटके दिल्ली-एनसीआर और जम्मू-कश्मीर में भी झटके महसूस किए गए। मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान के पेशावर में भी झटके महसूस किए गए।
इससे पहले अफगानिस्तान में रविवार को आया 6.0 तीव्रता का भूकंप और मंगलवार को आया 5.5 तीव्रता का भूकंप पहले ही भारी तबाही मचा चुके हैं।
अब तक की स्थिति:
गांव के गांव तबाह – लोगों के पास छत तक नहीं बची
जिन इलाकों में भूकंप आया है, वहां के अधिकतर मकान मिट्टी, लकड़ी और पत्थरों से बने होते हैं, जो इतनी तीव्रता के झटकों को सहन नहीं कर पाते। कुनर प्रांत के रहने वाले आलम जान ने बताया: "हमारा सब कुछ तबाह हो गया। हमारे पास अब सिर्फ वो कपड़े हैं जो हम पहनकर भागे थे।" उनकी पूरी फैमिली अब पेड़ों के नीचे खुले आसमान में रह रही है।
राहत में देरी, संसाधनों की भारी कमी
संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता एजेंसियों ने भोजन, दवाइयों और आश्रय की भारी कमी की चेतावनी दी है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, उन्हें $3 मिलियन (करीब 25 करोड़ रुपये) की तुरंत ज़रूरत है ताकि दवाएं और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए जा सकें।
WFP (विश्व खाद्य कार्यक्रम) ने बताया कि उनके पास सिर्फ चार हफ्तों के लिए भोजन का स्टॉक बचा है।
राहत कार्य मुश्किल – पहाड़ी इलाकों में नहीं पहुंच पा रही मदद
भूकंप से प्रभावित इलाके ज्यादातर पहाड़ी और दूरदराज के गांवों में हैं। भूस्खलन और टूटी सड़कों की वजह से राहत टीमें पैदल, खच्चरों या ट्रकों से पहुंच रही हैं। कुछ जगहों पर हेलीकॉप्टर तक लैंड नहीं कर पा रहे, ऐसे में सरकार ने वहां कमांडो फोर्स को एयरड्रॉप किया है।
दो-तिहाई आबादी पर असर, 98% घरों को नुकसान
Islamic Relief Worldwide नामक ब्रिटिश चैरिटी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार: कुछ गांवों में हर तीन में से दो लोग या तो मारे गए या घायल हुए हैं। लगभग 98% मकान या तो पूरी तरह ढह चुके हैं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं।
बचाव अभियान में जुटे लोग खुद कर रहे अंतिम संस्कार
कई गांवों में लोग अपने परिवार के शव खुद ही निकाल रहे हैं, खुद ही कब्रें खोद रहे हैं। वीडियो फुटेज में देखा गया कि लोग खच्चरों पर राशन और फावड़े लेकर ऊँचे पहाड़ी इलाकों में मदद के लिए जा रहे हैं।
दुनिया क्यों चुप है? अफगानिस्तान को फिर अकेला न छोड़ें: राहत संगठनों की अपील
नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के जाकोपो कारिडी ने कहा: "अफगानिस्तान को हर बार संकट में अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। हमें सिर्फ राहत नहीं, बल्कि उनका भविष्य भी सुनिश्चित करना होगा।" कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने अफगानिस्तान में काम करने में तालिबान शासन की नीतियों को बड़ी बाधा बताया है, खासकर महिलाओं पर पाबंदियों और राहतकर्मियों पर प्रतिबंधों की वजह से।
भूकंपों का देश: क्यों बार-बार हिलता है अफगानिस्तान?
अफगानिस्तान का भूगोल बेहद संवेदनशील है। देश का पूर्वी भाग हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला में आता है, जहां भारतीय और यूरेशियन प्लेटें टकराती हैं। यही वजह है कि यहां अक्सर भूकंप आते हैं।