सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाने लगे संघीय न्यायाधीश, ट्रंप सरकार के पक्ष में फैसलों पर जताई चिंता

Edited By Updated: 04 Sep, 2025 09:40 PM

federal judges started questioning the supreme court

अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रंप प्रशासन के पक्ष में लिए गए आपातकालीन फैसलों को लेकर कई संघीय न्यायाधीशों ने चिंता जताई है। एनबीसी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों द्वारा नियुक्त किए गए 12 संघीय...

नेशनल डेस्क: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रंप प्रशासन के पक्ष में लिए गए आपातकालीन फैसलों को लेकर कई संघीय न्यायाधीशों ने चिंता जताई है। एनबीसी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों द्वारा नियुक्त किए गए 12 संघीय न्यायाधीशों में से 10 ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बिना पर्याप्त स्पष्टीकरण के निचली अदालतों के फैसले पलट रहा है। न्यायाधीशों का कहना है कि यह चलन न केवल निचली अदालतों के काम पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को भी खतरा है। एक जज ने तो यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट जैसे संकेत दे रहा हो कि यह "न्यायिक तख्तापलट" है।

बिना स्पष्टीकरण के पलटे जा रहे फैसले

न्यायाधीशों ने इस बात पर खास चिंता जताई कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए कई आपातकालीन फैसलों में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया। यह न केवल निचली अदालतों की साख को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे आम जनता में भ्रम भी पैदा होता है।

ट्रंप सरकार के आलोचकों को मिल रहीं धमकियां

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि ट्रंप प्रशासन के खिलाफ फैसले देने वाले कुछ जजों को जान से मारने की धमकियाँ भी मिली हैं। खुद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने कई बार कोर्ट के फैसलों की आलोचना की है।

एक उदाहरण में, जब जज जेम्स बोसबर्ग ने अल सल्वाडोर भेजे जा रहे प्रवासियों की निर्वासन उड़ानों पर रोक लगाने की कोशिश की, तो ट्रंप ने सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ महाभियोग की मांग कर दी। वहीं, ट्रंप के टैरिफ से जुड़े मामलों में जब अदालत ने सरकार के फैसलों को रोका, तो व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे "न्यायिक तख्तापलट" कह दिया।

'किसी की जान जा सकती है'- जज की चेतावनी

एक न्यायाधीश ने एनबीसी से बातचीत में चेतावनी दी कि यदि ट्रंप प्रशासन की आलोचना करने वाले जजों पर इसी तरह हमले होते रहे, तो "किसी की जान जा सकती है।" एक अन्य जज ने कहा कि निचली अदालतों को "बस के नीचे फेंका जा रहा है", यानी उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

'ट्रंप डिरेंजमेंट सिंड्रोम भी एक हकीकत'

हालांकि, ओबामा सरकार द्वारा नियुक्त एक जज ने माना कि कुछ जज ट्रंप की नीतियों को लेकर व्यक्तिगत भावनाओं से भी प्रभावित हो जाते हैं। उन्होंने कहा, "ट्रंप डिरेंजमेंट सिंड्रोम एक हकीकत है। कई बार जज खुद को सीमाओं में नहीं रखते और ट्रंप के कामकाज के तरीके से नाराज़ होकर फैसले देते हैं।"

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