ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री की चौंकाने वाली चेतावनीः ब्रिटेन में प्रवासी-विरोध के नाम पर बढ़ा नस्लवाद

Edited By Updated: 22 Nov, 2025 06:48 PM

is racism becoming more acceptable in the uk

ब्रिटेन में नस्लवाद पर बहस फिर तेज हो गई है। निगेल फराज और उनकी पार्टी पर नस्लवादी टिप्पणियों के आरोपों ने विवाद बढ़ाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन में नस्लवादी व्यवहार सामाजिक रूप से अधिक स्वीकार्य होता जा रहा है। हालिया प्रवासी-विरोधी...

Lonfon:  ब्रिटेन में नस्लवाद को लेकर बहस फिर तेज हो गई है। प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर ने रिफॉर्म यूके के नेता निगेल फराज से उन पर लगाए गए नस्लवाद, स्कूल के समय यहूदियों के खिलाफ टिप्पणियों और विदेशियों पर की गई आपत्तिजनक बातों के बारे में सफाई मांगी है। फराज ने सभी आरोपों को नकार दिया।कुछ सप्ताह पहले ही रिफॉर्म यूके की सांसद सारा पोचिन एक विज्ञापन में "सिर्फ अश्वेत और एशियाई लोगों के दिखने" पर आपत्ति जताकर विवाद में आई थीं। फराज ने उनकी टिप्पणी को “भद्दी” तो कहा, लेकिन नस्लवादी मानने से इंकार कर दिया।

 

यह विवाद दिखाता है कि आज भी “नस्लवादी” कहलाना एक बड़ा सामाजिक कलंक है, लेकिन क्या यह कलंक कमज़ोर हो रहा है? नस्लवाद का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि हां आज नस्लवादी बातों को पहले जितना गंभीर नहीं माना जा रहा। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री वेस स्ट्रीटिंग ने हाल ही में कहा कि स्वास्थ्यकर्मी बढ़ते नस्लवाद का सामना कर रहे हैं और यह 1970-80 के दशक के “घिनौने नस्लवाद” जैसा लगने लगा है। उनके अनुसार, आज “नस्लवादी होना सामाजिक रूप से स्वीकार्य” जैसा प्रतीत होता है। नफरत अपराधों के आंकड़े और कई रिपोर्टें दिखाती हैं कि नस्लवाद तेजी से फैल रहा है। कई घटनाओं में लोग खुलेआम ऐसे बयान दे रहे हैं जो पिछले दशकों में संभव नहीं थे।

 

शोध बताते हैं कि आव्रजन पर रोक लगाने की मांग अक्सर किसी खास नस्ली समूह को बाहर रखने की इच्छा से प्रेरित होती है। इतिहास में ब्रिटेन में यहूदी, अश्वेत और पूर्वी यूरोपीय समुदायों के खिलाफ ऐसे अभियान चल चुके हैं।पहले लोग सीधे नस्लवादी बातें कहने से बचते थे। वे मज़मून बदलकर तर्क देते जैसे “स्थानीय और अश्वेत समुदायों के संबंध बिगड़ रहे हैं, इसलिए प्रवासन रोकना ज़रूरी है।” लेकिन अब कई नेता और उनके समर्थक खुलकर ऐसे बयान दे रहे हैं, जिनमें नस्लवाद और कट्टरता स्पष्ट दिखती है। ब्रिटेन में पिछले महीनों में हुए प्रवासी-विरोधी आंदोलनों में सीधे नस्लवादी और धार्मिक कट्टरता से भरे नारे लगाए गए।

 

मस्जिदों पर हमले, प्रवासियों की संपत्तियों को जलाने जैसी घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं। सितंबर 2025 में ब्रिटेन में अब तक की सबसे बड़ी दक्षिणपंथी रैली "यूनाइट द किंगडम" निकाली गई। इस मंच पर वक्ताओं ने खुले तौर पर कहा कि ब्रिटेन से सभी प्रवासियों और विदेशियों को बाहर निकाल दिया जाना चाहिए और देश को एक शुद्ध ईसाई राष्ट्र बनाया जाना चाहिए। यह बयानबाज़ी सीधा नस्लवाद है और यह अब खुलकर की जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह माहौल बताता है कि ब्रिटिश समाज में नस्लवाद के खिलाफ जो मजबूत सामाजिक नियम कभी थे वे आज कमज़ोर पड़ते जा रहे हैं।
 
 

 

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