शिकागो की सड़कों पर उतरे हजारों लोग, Donald Trump की नेशनल गार्ड तैनाती का किया विरोध

Edited By Updated: 09 Oct, 2025 01:32 PM

massive protest erupts in chicago against trump s national guard deployment

बुधवार रात शिकागो की सड़कों पर हजारों लोग उतर आए जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नेशनल गार्ड तैनात करने के फैसले के खिलाफ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। ट्रंप प्रशासन ने यह कदम हाल के हिंसक घटनाओं और बढ़ते अपराध को रोकने के लिए उठाया...

इंटरनेशनल डेस्क। बुधवार रात शिकागो की सड़कों पर हजारों लोग उतर आए जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नेशनल गार्ड तैनात करने के फैसले के खिलाफ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया।
ट्रंप प्रशासन ने यह कदम हाल के हिंसक घटनाओं और बढ़ते अपराध को रोकने के लिए उठाया था लेकिन नागरिक अधिकार संगठनों और स्थानीय नेताओं ने इसे शहर के सैन्यीकरण (militarisation) की दिशा में खतरनाक कदम बताया है।

प्रदर्शनकारियों के हाथों में “No Troops in Our Streets” और “Protect Civil Rights, Not Power”  जैसे नारे लिखे पोस्टर थे। वे ग्रांट पार्क से लेकर सिटी हॉल तक मार्च करते हुए ट्रंप प्रशासन से तुरंत फेडरल सैनिकों को वापस बुलाने की मांग कर रहे थे। कई लोगों ने इस तैनाती को तानाशाही जैसी हरकत बताते हुए आरोप लगाया कि ट्रंप असहमति की आवाज़ को दबाने और स्थानीय पुलिसिंग पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों का कहना है कि सैनिकों की तैनाती से हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ सकते हैं।

 

इस मौके पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मारिया हर्नान्डेज़ ने कहा- “नेशनल गार्ड लाना समाधान नहीं बल्कि उकसाने वाला कदम है। हमें नौकरियां, स्कूल और न्याय चाहिए सड़कों पर हथियारबंद सैनिक नहीं।”

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वहीं शिकागो की मेयर और कई सिटी अधिकारियों ने भी केंद्र के इस हस्तक्षेप पर चिंता जताई। उनका कहना है कि शहर के भीतर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होनी चाहिए न कि संघीय बलों की। कई सिविल राइट्स वकीलों ने भी चेतावनी दी कि इस कदम से संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है और नागरिकों व सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है।

वहीं ट्रंप प्रशासन ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि नेशनल गार्ड की तैनाती संपत्ति की सुरक्षा और हिंसा रोकने के लिए जरूरी है लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह कदम लोगों और सरकार के बीच पहले से मौजूद अविश्वास को और गहरा कर सकता है खासकर ऐसे समय में जब देश पहले ही गंभीर सामाजिक विभाजन का सामना कर रहा है।

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रात बढ़ने के साथ प्रदर्शन ज्यादातर शांतिपूर्ण रहे हालांकि माहौल में तनाव महसूस किया गया क्योंकि सुरक्षा बल लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए थे। आयोजकों ने घोषणा की है कि यह आंदोलन सप्ताहांत तक जारी रहेगा जब तक कि उनकी फेडरल सैनिकों की वापसी की मांग पूरी नहीं हो जाती।

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