पीएम मोदी का एशिया दौरा: जापान से पक्की दोस्ती, चीन से अच्छे रिश्ते और रूस से ऊर्जा का भरोसा; जानिए ट्रिपल मिशन का पूरा प्लान

Edited By Updated: 29 Aug, 2025 02:51 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एशिया यात्रा का मकसद जापान, चीन और रूस के साथ रिश्ते मजबूत करना है। जापान में मोदी निवेश और तकनीक पर ध्यान देंगे। चीन में 2020 की सीमा झड़पों के बाद रिश्ते सुधारने की कोशिश होगी। रूस में वे ऊर्जा सहयोग पर बात करेंगे,...

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एशिया दौरा इन दिनों सुर्खियों में है, जिसमें जापान से पक्की दोस्ती, चीन से अच्छे रिश्ते और रूस से ऊर्जा का भरोसा हासिल करना शामिल है। इस ट्रिपल मिशन के तहत पीएम मोदी भारत के लिए एक बैलेंस और मजबूत विदेश नीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आइए जानने हैं इस एशिया दौरे का पूरा प्लान...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह एक बेहद जरुरी विदेश यात्रा पर निकल चुके हैं जिसमें वे पहले जापान फिर चीन और रूस का दौरा कर करेंगे। बता दें यह दौरा उस समय हो रहा है जब भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से निपटने की कोशिश कर रहा है। ऐसे समय में भारत के लिए यह जरूरी है कि वह एशियाई देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए और दुनिया में अपना संतुलन बनाकर चले। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का हर पड़ाव रणनीतिक रूप से बेहद अहम होने वाला है। जहां जापान में आर्थिक और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा तो वहीं चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने की भी कोशिश होगी और रूस के साथ ऊर्जा सहयोग पर बातचीत हो सकती है। 

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जापान से निवेश और ताकतवर दोस्ती करने का प्रयास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान दौरा उनकी एशिया यात्रा का सबसे जरूरी माना जा रहा है। इस दौरे में भारत और जापान के रिश्तों को और मजबूत करने पर जोर दिया गया है। इतिहास के पन्नों को देखें तो जापान भारत का एक भरोसेमंद दोस्त रहा है और वह अब अगले 10 सालों में भारत में लगभग 68 अरब डॉलर का निवेश करने वाला है। बता दें फेमस कार निर्माता कंपनी सुजुकी कंपनी 8 अरब डॉलर का निवेश भारत में करने वाली है, इससे भारत में नए कारखाने बनेंगे साथ ही लोगों को काम मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत फायदा होगा। यह दौरा क्वाड (Quad) देशों के लिए भी अहम है, बता दें क्वाड एक संगठन है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते असर को संतुलित करने की कोशिश करते हैं।

बता दें इस यात्रा के दौरान भारत और जापान ने मिलकर कई क्षेत्रों में काम करने की बात की है, जैसे कि सेमीकंडक्टर, क्लीन एनर्जी, डिजिटल तकनीक, रक्षा और बुलेट ट्रेन जैसे भी बड़े प्रोजेक्ट्स। जापान अब तक भारत में 43 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत और जापान एक-दूसरे के साझेदार हैं,  इस दोस्ती से भारत को नई तकनीक, पैसा और विकास के नए रास्ते मिलेंगे, जिससे हमारा देश और भी मजबूत बनेगा।

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चीन से पुराने झगड़े भुलाकर नए रिश्ते बनाने की कोशिश?

जापान दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन जाएंगे। यह मुलाकात इसलिए खास है क्योंकि साल 2020 में भारत और चीन के बीच गलवान सीमा पर झड़प हुई थीं और उसके बाद ये पहली बार होगा जब दोनों देशों के नेता आमने-सामने से मिलेंगे। दोनों देश अब अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। वे फिर से सीधे हवाई रास्ते शुरू करने, हिमालयी इलाके में व्यापार बढ़ाने और चीन द्वारा भारत पर लगाए गए खाद प्रतिबंध, दुर्लभ खनिज यानि रेयर अर्थ मेटल्स और सुरंग बनाने वाली मशीनों के प्रतिबंध हटाने पर अब धीरे-धीरे ही सही लेकिन सहमत हो रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ देखें तो अमेरिका चाहता है कि भारत चीन के खिलाफ खड़ा हो लेकिन अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद भारत और चीन का करीब आना स्वभाविक है। इस तरह मोदी की चीन यात्रा सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भारत को दोनों देशों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। 

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 रूस के साथ अच्छे संबंधो का इतिहास गवाह है

प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का आखिरी हिस्सा रूस है, जहाँ वे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे। रूस भारत के लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा साथी बन चुका है। यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने सस्ते दामों पर रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया, जिससे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें ज्यादा नहीं बढ़ी। लेकिन अमेरिका ने भारत की इस नीति की जमकर आलोचना की लेकिन इस कारण किसी तरह का कड़ा प्रतिबंध डायरेक्ट नहीं लगाया।

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर सवाल भी उठाए लेकिन भारत ने बिना देरी करते हुए इसे गलत बताया। भारत ने कुछ हद तक रूस से तेल की खरीद कम की है फिर भी वह समुद्री रास्ते से रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बना हुआ है। रुस-भारत संबंध के इतिहास को देखें तो रूस को भारत की विदेश नीति में एक भरोसेमंद और स्थिर साथी माना जाता है। 

 

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