नेपाल सियासत में भूचाल लाने वाले Gen Z का Shocking बयान- "हम अभी नेतृत्व के लायक नहीं, बुज़ुर्ग नेताओं कारण हुआ खून-खराबा"

Edited By Updated: 11 Sep, 2025 06:05 PM

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नेपाल में सोशल मीडिया आंदोलन से जन्मी Gen Z क्रांति  अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के इस्तीफ़े के बाद युवाओं की नई पीढ़ी ने साफ़

International Desk: नेपाल में सोशल मीडिया आंदोलन से जन्मी Gen Z क्रांति  अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के इस्तीफ़े के बाद युवाओं की नई पीढ़ी ने साफ़ किया है कि वे बदलाव चाहते हैं, लेकिन फिलहाल देश का नेतृत्व संभालने की स्थिति में नहीं हैं। बता दें कि नेपाल में 26 सोशल मीडिया एप को बैन करने के विरोध में Gen-Z सड़कों पर उतर आए और जमकर प्रदर्शन किया। संसद भवन से लेकर कई सरकारी इमारतों को लोगों ने आग के हवाले कर दिया। इस बीच पीएम केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। नेपाल में सेना ने स्थिति को सामान्य करने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में 30 लोग मारे गए हैं और 1000 से ज़्यादा घायल हुए हैं। नेपाली सेना द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू सहित कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है, जो शुक्रवार सुबह तक जारी रहेगा।  

 

दिवाकर डंगोल का बयान
Gen Z नेता दिवाकर डंगोल ने कहा- "हम अभी नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं, हमें परिपक्व होने में समय लगेगा। लेकिन कुछ लोग हमारी एकता तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यही ख़ून-ख़राबा पुरानी पीढ़ी के नेताओं की वजह से है। हम संसद भंग करना चाहते हैं, संविधान को रद्द करना नहीं। हमें ख़ून-ख़राबा नहीं, बदलाव चाहिए।"

 

बानिया का ऐलान
एक और युवा नेता बानिया  ने कहा- "हमने यह आंदोलन बुज़ुर्ग नेताओं से तंग आकर किया। हमारी पुकार शांति की थी, लेकिन राजनीतिक कैडरों ने आगजनी और तोड़फोड़ की। हमने ऑनलाइन सर्वे कर  सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री चुना। संविधान को पूरी तरह बदलना हमारा इरादा नहीं, सिर्फ़ ज़रूरी सुधार करना है। अगले 6 महीनों में चुनाव कराए जाएंगे।"

 

सेना तक पहुँची Gen Z की आवाज़
Nepali मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, युवा प्रतिनिधियों ने  सेना मुख्यालय से भी मुलाकात की है और अंतरिम व्यवस्था पर बातचीत में शामिल होने की मांग की है। Nepal की राजनीति में यह पहली बार है जब  18 से 28 वर्ष की उम्र वाले युवाओं ने सामूहिक रूप से आंदोलन खड़ा किया और नेतृत्व तय किया। यह आंदोलन भ्रष्टाचार ख़त्म करने, पारदर्शी शासन और नई राजनीतिक संस्कृति स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
 

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