Edited By Tanuja,Updated: 28 Oct, 2025 07:19 PM

तुर्की में हुई पाकिस्तान-अफगानिस्तान वार्ता आतंकवाद के मुद्दे पर विफल रही। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर TTP आतंकियों को शरण देने का आरोप लगाया। वार्ता टूटने के बाद रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने युद्ध की चेतावनी दोहराई। वहीं भारत-तालिबान रिश्तों में...
Islamabad: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीजफायर और आतंकवाद रोकने को लेकर चल रही वार्ता तीसरे दौर में विफल हो गई है। तुर्की में हुई इस बैठक के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर वार्ता टूटने का आरोप लगाया। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकियों द्वारा पाकिस्तान पर हमले करने के लिए किया जा रहा है। तीन पाकिस्तानी अधिकारियों ने एपी को बताया कि वार्ता इसलिए रुकी क्योंकि काबुल ने पाकिस्तान की “तार्किक और वैध मांगों” को ठुकरा दिया। पाकिस्तान चाहता था कि अफगानिस्तान यह लिखित आश्वासन दे कि उसकी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी हमलों में नहीं होगा।
ख्वाजा आसिफ का पुराना बयान फिर सुर्खियों में
वार्ता टूटने के तुरंत बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का पुराना बयान फिर चर्चा में आ गया। आसिफ ने कहा था कि “अगर बातचीत नाकाम रही, तो पाकिस्तान के पास खुले युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।” यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब दुनिया पहले से ही कई मोर्चों पर युद्ध की स्थिति झेल रही है और गाजा, यूक्रेन और अब दक्षिण एशिया में भी तनाव का नया खतरा मंडरा रहा है।
सीमा पर झड़पें और हवाई हमले
दोनों देशों के बीच सीमा पर हाल के दिनों में कई हिंसक झड़पें हुई हैं। पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने अफगान सीमा के भीतर आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए और “दर्जनों आतंकियों और सैनिकों को मार गिराया।” वहीं, तालिबान सरकार ने इन हमलों को अफगान संप्रभुता का उल्लंघन बताया और कहा कि इसमें 12 नागरिक मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए।रविवार को भी दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प में 5 पाकिस्तानी सैनिक और 25 अफगान लड़ाके मारे गए।
चौथे दौर की बातचीत अनिश्चित
दोनों देशों के प्रतिनिधि अभी भी तुर्की में मौजूद हैं, लेकिन चौथे दौर की बातचीत की कोई तारीख तय नहीं हुई है। पहला दौर 18-19 अक्टूबर को दोहा (कतर) में हुआ था, जहां कतर और तुर्की मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं।
भारत और तालिबान के रिश्तों में नया अध्याय
इसी बीच, भारत और तालिबान के बीच कूटनीतिक संबंधों में सुधार दिखाई दे रहा है। अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की इस महीने दिल्ली यात्रा के बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास दोबारा खोलने का फैसला किया है। मुत्ताकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात में पाहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी जिसे पाकिस्तान-स्थित आतंकी संगठन ने अंजाम दिया था। तालिबान ने भरोसा दिलाया कि उसकी जमीन से भारत विरोधी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी।