Edited By Tanuja,Updated: 22 Oct, 2020 10:14 AM
टेरर फंडिग को लेकर पाकिस्तान का FATF के चंगुल से बचना अब लगभग नामुमकिन होता नजर आ रहा है। आंतकवाद के आका पाकिस्तान ने इस ...
इस्लामाबादः टेरर फंडिग को लेकर पाकिस्तान का FATF के चंगुल से बचना अब लगभग नामुमकिन होता नजर आ रहा है। आंतकवाद के आका पाकिस्तान ने इस मामले में हमेशा दुनिया और FATF की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की और अपने खास दोस्त चीन की मदद से बचता भी रहा। लेकिन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF ) की बैठक में किसी बड़े फैसले से पहले ही एक पूर्व पाकस्तानी राजदूत ने सख्त बयान देकर पाक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पाक राजूत का यह बयान पाक को काली सूची में डाल सकता है। बुधवार 21 अक्टूबर से शुरू होने वाली इस तीन दिवसीय वर्चुअल बैठक पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने की समीक्षा की जानी है। इस बीच अमेरिका में बतौर पाकिस्तानी राजदूत अपनी सेवाएं दे चुके हुसैन हक्कानी ने दावा किया है कि पाकिस्तान अपने यहां पर मौजूद आतंकी संगठनों, इनके आकाओं और टेरर फंडिंग को रोक पाने में पूरी तरह से विफल रहा है। पूर्व राजदूत और हडसन इंस्टीट्यूट में साउथ एंड सेंट्रल एशिया के डायरेक्टर हुसैन हक्कानी का कहना है कि पाकिस्तान ने चार वर्षों में इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के दिए बिंदुओं को पूरा नहीं किया है।
पाकिस्तान पूरी तरह से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को रोक पाने में नाकाम रहा है। उसकी जमीन पर आज भी पहले की ही तरह से आतंकी मौजूद हैं। हक्कानी का ये भी कहना है कि कुछ देश चाहते हैं कि FATF पाकिस्तान के खिलाफ ठोस फैसला लेते हुए उसको काली सूची में डाले जबकि इसके बाद भी पाकिस्तान के विदेश मंत्री लगातार इस बात को कहते नहीं थक रहे हैं कि उनका देश इससे जल्द बाहर आ जाएगा।
बता दें कि इस सूची में फिलहाल ईरान और नॉर्थ कोरिया ही हैं। हक्कानी ने पाकिस्तान और उस पर लटकी FATF की तलवार के मुद्दे पर 'द डिप्लोमेट' में एक लेख लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान का आतंकियों पर लगाम लगाने का ट्रेक रिकॉर्ड पहले से ही बेहद खराब रहा है। यही वजह थी कि इसको एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। ग्रे लिस्ट दरअसल, इस बात का संकेत होता है कि सरकार अपने यहां पर टेरर फंडिंग और टेरर ग्रुप पर लगाम लगाए और उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की लगातार समीक्षा की जाती है।