Pok में छाए संकट के बादल, पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ सड़कों पर उतरी पुलिस, कहा- हम काम नहीं करेंगे

Edited By Updated: 22 Jul, 2025 02:28 PM

police took to the streets against the pak govt said we will not work

PoK में आम नागरिकों के बाद अब खुद PoK पुलिस द्वारा बगावत की जा रही है। पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। सोमवार से PoK की राजधानी मुजफ्फराबाद में सैकड़ों पुलिस अधिकारी वर्दी में बैनर-पोस्टर लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं...

नेशनल डेस्क: PoK में आम नागरिकों के बाद अब खुद PoK पुलिस द्वारा बगावत की जा रही है। पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। सोमवार से PoK की राजधानी मुजफ्फराबाद में सैकड़ों पुलिस अधिकारी वर्दी में बैनर-पोस्टर लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं और उन्होंने ड्यूटी पर जाने से इनकार कर दिया है।

जमीयत-ए-पुलिस कश्मीर के बैनर तले हड़ताल पर बैठे PoK के पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने पाकिस्तानी सरकार पर दशकों से भेदभाव, आर्थिक शोषण और प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने ड्यूटी पर लौटने के लिए 12 सूत्रीय मांगपत्र भी रखा है।

पाकिस्तानी हुकूमत पर गंभीर आरोप: भेदभाव और शोषण

PoK पुलिस के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों का आरोप है कि पाकिस्तानी सरकार अपने कब्जे वाले कश्मीर में कश्मीरियों के साथ इस कदर भेदभाव कर रही है कि यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए हैं:

  • मृत पुलिसकर्मियों के परिवारों से भेदभाव: पुलिसकर्मियों की मौत के बाद उनका जमा किया हुआ पैसा तक परिजनों को नहीं दिया जाता है। पुलिसवालों के पैसे 'फ्रीज' कर दिए जाते हैं। साथ ही मृतक पुलिसकर्मियों के परिजनों को मिलने वाली पेंशन में भी पिछले 50 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
  • अन्य प्रांतों से तुलना: PoK पुलिसकर्मियों का कहना है कि पाकिस्तान के अन्य हिस्सों, जैसे पंजाब प्रांत में, ऐसी स्थिति नहीं है। वहां पुलिसकर्मी की मौत के बाद परिजनों को हर महीने अच्छा पैसा मिलता है और पुलिसकर्मी की सारी जमा पूंजी परिजनों को दे दी जाती है, जबकि PoK में ऐसा नहीं है।

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स्वास्थ्य सुविधाओं और भत्तों में भी असमानता

PoK के पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने पाकिस्तानी सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि PoK में कई बड़े सरकारी अस्पताल हैं, लेकिन सुविधाएं केवल सेना के अधिकारियों और उनके परिजनों को मिलती हैं। पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार किया जाता है।

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे PoK पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक उनकी मुख्य मांगों में शामिल है:

  • PoK के पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों को भी सेना की तरह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर सहित पूरे पाकिस्तान के बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज की पात्रता और वरीयता दी जाए।
  • बाहर निजी अस्पतालों में इलाज करवाने की स्थिति में पैसा बिना देरी के रिफंड किया जाए। पुलिसकर्मियों ने बताया कि पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में काम करने वाले पुलिसकर्मियों और सेना के जवानों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाने पर सरकार पूरा खर्च रिफंड करती है, लेकिन PoK की पुलिस के साथ पिछले 70 सालों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

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हड़ताल पर बैठे पुलिसकर्मियों की मांग है कि:

  • PoK पुलिस को यूनिफॉर्म का भत्ता पाकिस्तानी सेना और रेंजर्स के बराबर मिले।
  • रिस्क अलाउंस 2008 की पुरानी बेसिक पर नहीं, बल्कि 2022 के स्केल पर दिया जाए, जैसा कि सेना को दिया जा रहा है।
  • PoK पुलिस को डिसपेरिटी अलाउंस भी दिया जाए, जो सेना और रेंजर्स को दो बार मिल चुका है।
  • कांस्टेबलरी और डैशिंग अलाउंस में मौजूदा महंगाई को ध्यान में रखते हुए वृद्धि की जाए।

PoK में लगातार बढ़ रहा विरोध प्रदर्शन

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में इस समय पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ भेदभाव के आरोपों की वजह से लगातार हड़ताल और धरने प्रदर्शन चल रहे हैं। पुलिसकर्मी जहां हड़ताल पर बैठे हैं, वहीं PoK के राजस्व विभाग के कर्मचारी भी 27 जुलाई तक काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक अगर उन्हें पाकिस्तान के अन्य हिस्सों की तरह बराबरी का हक नहीं दिया गया, तो पहले 27 जुलाई से वे 3 घंटे काम छोड़ेंगे और फिर 3 अगस्त से पूरी तरह हड़ताल पर चले जाएंगे। यह स्थिति पाकिस्तान सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि यह PoK में बढ़ते असंतोष को उजागर करती है।

 

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