अध्ययनः जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए कार्बन प्रदूषण पर जुर्माना लगाना नाकाफी

Edited By Updated: 05 Sep, 2019 02:12 PM

putting a price on carbon pollution alone unlikely to help reach climate goals

कार्बन प्रदूषण पर केवल जुर्माना लगाने से इसका उत्सर्जन इतना कम नहीं किया जा सकता ...

लंदन: कार्बन प्रदूषण पर केवल जुर्माना लगाने से इसका उत्सर्जन इतना कम नहीं किया जा सकता कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल कर लिया जाए। एक अध्ययन में यह बात कही गई। साल 2015 में हुए पेरिस समझौते के तहत देशों को संयुक्त रूप से ग्लोबल वार्मिंग साल 2100 तक दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की जरूरत है।

 

इस लक्ष्य के लिए मानवीय गतिविधियों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को साल 2070 तक शून्य पर लाना और उसके बाद शून्य से भी कम करना है। ऐसा करने के लिए हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने वाली रणनीतियों का इस्तेमाल किया जाएगा जैसे कि कार्बन रोकने वाली प्रौद्योगिकियां या पेड़ लगाना। पत्रिका ‘जूल' में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जन पर जुर्माना लगाना विनाशकारी जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।

 

ब्रिटेन में ‘इम्पीरियल कॉलेज लंदन' के शोधकर्ताओं ने पाया कि कार्बन उत्सर्जन पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने वाली रणनीतियों को बढ़ावा देने की जरूरत है। इम्पीरियल कॉलेज के पर्यावरण नीति केंद्र की हबीबा डैगाश ने कहा, ‘‘ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर जुर्माना लगाने की मौजूदा व्यवस्था विनाशकारी जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए पर्याप्त नहीं है, यहां तक कि अत्यधिक जुर्माना लगाया जाए तब भी नहीं।'' 

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