Edited By Tanuja,Updated: 27 Sep, 2025 11:40 AM

संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कड़ा चेतावनी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि रूस की आक्रामकता केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं है। ज़ेलेंस्की ने अमेरिका और यूरोप से और अधिक सैन्य-आर्थिक मदद मांगी और बताया कि यह संघर्ष...
International news: संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में बोलते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति **वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने वैश्विक नेताओं को कड़ा चेतावनी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर रूस की आक्रामकता को अभी नहीं रोका गया तो पूरी दुनिया गंभीर खतरे में पड़ सकती है।ज़ेलेंस्की ने कहा, “यूक्रेन आज केवल पहला निशाना है। लेकिन याद रखिए अगला कोई भी हो सकता है। अगर हम सबने मिलकर इस आक्रामकता को रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई, तो युद्ध की आग सीमाओं को पार कर पूरी दुनिया में फैल सकती है।”
अपने भाषण में ज़ेलेंस्की ने रूस को "मानव इतिहास की सबसे खतरनाक शस्त्र दौड़" शुरू करने का दोषी ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि रूस परमाणु हथियारों और ऊर्जा संसाधनों को हथियार बनाकर दुनिया को ब्लैकमेल कर रहा है।ज़ेलेंस्की ने कहा कि मास्को केवल यूक्रेन को कब्ज़े में लेने की कोशिश नहीं कर रहा, बल्कि पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को तोड़ने की साजिश रच रहा है। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने अमेरिका और यूरोपीय देशों से आग्रह किया कि वे सैन्य और आर्थिक मदद में कोई ढिलाई न करें। उन्होंने चेतावनी दी कि "अगर रूस की तानाशाही को रोका नहीं गया, तो यह दुनिया के लोकतांत्रिक देशों की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित होगी।"उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन के लिए समर्थन केवल एक देश की मदद नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया की स्वतंत्रता और शांति की रक्षा है।
ज़ेलेंस्की ने महासभा में मौजूद नेताओं से कहा: “यह समय है जब हमें यह दिखाना होगा कि अंतरराष्ट्रीय एकता का मतलब क्या है। यह केवल कूटनीतिक शब्द नहीं होना चाहिए, बल्कि ठोस कार्रवाई में दिखना चाहिए।” उन्होंने विशेष रूप से सुरक्षा परिषद के सदस्यों को याद दिलाया कि शांति बनाए रखना उनका दायित्व है, और रूस जैसे आक्रामक देशों के खिलाफ कठोर कदम उठाना जरूरी है। ज़ेलेंस्की के इस बयान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मौजूद नेताओं को झकझोर दिया। कई विश्लेषकों का कहना है कि यह भाषण न केवल यूक्रेन के लिए मदद की अपील है, बल्कि पूरी दुनिया को यह याद दिलाने की कोशिश है कि युद्ध अगर फैला तो उसकी चपेट में कोई भी आ सकता है।