Edited By Parveen Kumar,Updated: 27 Jul, 2025 06:08 PM

अफ्रीकी देश कांगो के पूर्वी हिस्से में एक बार फिर आतंकियों ने कहर बरपाया है। रविवार देर रात कोमांडा इलाके में एक कैथोलिक चर्च पर हुए हमले में कम से कम 21 लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। हमला उस समय हुआ जब लोग चर्च परिसर में मौजूद थे।
नेशनल डेस्क: अफ्रीकी देश कांगो के पूर्वी हिस्से में एक बार फिर आतंकियों ने कहर बरपाया है। रविवार देर रात कोमांडा इलाके में एक कैथोलिक चर्च पर हुए हमले में कम से कम 21 लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। हमला उस समय हुआ जब लोग चर्च परिसर में मौजूद थे।
स्थानीय नागरिक समाज समन्वयक डियूडोने दुरंतबो ने बताया कि रात करीब 1 बजे यह हमला किया गया। हमलावरों ने चर्च के अंदर और बाहर मौजूद लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। उन्होंने बताया, "अब तक 21 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। कई लोगों के शव जले हुए मिले हैं और हम अभी भी लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं।"
हमले के दौरान आतंकियों ने कई घर और दुकानें भी आग के हवाले कर दीं। सेना के मुताबिक, यह हमला इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े आतंकी संगठन अलाइड डेमोक्रेटिक फोर्स (ADF) ने अंजाम दिया है। कांगो सेना के प्रवक्ता ने 10 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है, हालांकि नागरिक संगठनों के मुताबिक मृतकों की संख्या इससे ज्यादा हो सकती है।
कितना खतरनाक है ADF?
ADF एक खूंखार विद्रोही संगठन है, जो युगांडा और कांगो के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय है। यह संगठन 2018 से इस्लामिक स्टेट के साथ औपचारिक रूप से जुड़ा हुआ है और 2019 में खुद को इस्लामिक स्टेट सेंट्रल अफ्रीका प्रोविंस (IS-CAP) का हिस्सा घोषित कर चुका है।
ADF पिछले कई वर्षों से पूर्वी कांगो में आम लोगों को निशाना बनाता आ रहा है। इस इलाके में यह संगठन खासतौर पर धार्मिक स्थलों और नागरिकों पर हमले करता रहा है।
ISIS से जुड़े संगठनों का बढ़ता खतरा
यह कोई पहली घटना नहीं है जब ISIS से जुड़े गुटों ने ईसाई धर्मस्थलों को निशाना बनाया हो। पूर्वी कांगो में इस्लामिक आतंकियों की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। देश की बड़ी आबादी ईसाई है, और आतंकियों के ये हमले धार्मिक तनाव को भी बढ़ा सकते हैं।
कांगो लंबे समय से हिंसा, विद्रोह और आतंकी हमलों की मार झेल रहा है। हालिया हमला इस बात का संकेत है कि इस्लामिक स्टेट समर्थित संगठन अब भी क्षेत्र में सक्रिय हैं और आम लोगों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
सरकार और सेना की ओर से स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन हालिया घटनाएं बताती हैं कि इन संगठनों की पकड़ अब भी कमजोर नहीं हुई है।