Edited By Radhika,Updated: 19 Sep, 2025 05:54 PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ एक बड़े व्यापार समझौते को लेकर अपनी उत्सुकता दिखाई है। इसी सिलसिले में उन्होंने ताइवान को दी जाने वाली तकरीबन ₹3,340 करोड़ की सैन्य सहायता रोक दी है, जिससे ताइवान पर चीन का दबाव और बढ़ने की उम्मीद...
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ एक बड़े व्यापार समझौते को लेकर अपनी उत्सुकता दिखाई है। इसी सिलसिले में उन्होंने ताइवान को दी जाने वाली तकरीबन ₹3,340 करोड़ की सैन्य सहायता रोक दी है, जिससे ताइवान पर चीन का दबाव और बढ़ने की उम्मीद है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब अमेरिका और चीन के बीच एक जटिल व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है।
ये भी पढ़ें- iPhone 17 Sale! Apple स्टोर में दिखा पागलपन! ‘थप्पड़ पे थप्पड़...’ और फिर ‘पहले मैं खरीदूंगा’ कहकर आपस में भिड़े लोग,Video Viral
ट्रंप की 'लेन-देन' वाली विदेश नीति
एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप ने ताइवान के लिए सैन्य सहायता पैकेज को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। इस पैकेज में गोला-बारूद और अत्याधुनिक ड्रोन शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार यह फैसला भविष्य में बदला भी जा सकता है। यह कदम ट्रंप की 'लेन-देन वाली विदेश नीति' को दर्शाता है। उनका मानना है कि सहयोगी देशों को अपनी सुरक्षा पर खुद खर्च करना चाहिए, न कि अमेरिकी सहायता पर निर्भर रहना चाहिए। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ताइवान को अमेरिकी हथियार खरीदने चाहिए, बजाय इसके कि उन्हें मुफ्त में दिया जाए।

ताइवान पर बढ़ता चीनी दबाव
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और लगातार उस पर सैन्य दबाव बनाए हुए है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन लगभग हर दिन अपने युद्धपोत और विमान ताइवान के आसपास के समुद्री और हवाई क्षेत्र में भेजता है। दिसंबर 2024 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था, "ताइवान और चीन के लोग एक ही परिवार हैं। कोई भी हमारे रिश्तों को नहीं तोड़ सकता।" जवाब में ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने हाल ही में रक्षा बजट बढ़ाने का ऐलान किया है। उनकी सरकार ने और अधिक ड्रोन व जहाज खरीदने के लिए विशेष फंड को मंजूरी दी है, ताकि अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाया जा सके।
व्यापार वार्ता का दबाव और अमेरिकी किसानों की चिंता
ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ट्रंप के लगाए टैरिफ के जवाब में चीन ने भी जवाबी टैरिफ लगाए थे, जिससे अमेरिकी किसान दबाव में आ गए। चीन, अमेरिका के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 25% खरीदता रहा है, लेकिन उसने अमेरिका से खरीद बंद कर दी और ब्राजील से आयात बढ़ा दिया है। इस आर्थिक दबाव ने ट्रंप को चीन के प्रति नरम रुख अपनाने के लिए मजबूर किया है।
ट्रंप जल्द ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत करने वाले हैं। इस बातचीत में टिक-टॉक जैसे चीनी ऐप्स पर पाबंदी और दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। ऐसे में ताइवान की सहायता रोकना शी जिनपिंग को खुश करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।