नहीं रही तुर्की की सबसे बुजुर्ग महिला, 131 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, पीछे छोड़ गई 110 पोते और पोतियां

Edited By Updated: 02 Aug, 2025 03:33 AM

türkiye s oldest woman is no more breathed her last at the age of 131

तुर्की की सबसे बुजुर्ग महिला मानी जाने वाली होड़ी गुरकान (Hodi Gurkan) का सोमवार को निधन हो गया। वे 131 वर्ष की थीं और तुर्की के इतिहास की एक जीवित गवाह थीं। उन्होंने अपनी अंतिम सांस दक्षिण-पूर्वी तुर्की के शानलिउरफा प्रांत के विरानशेहिर जिले के एक...

इंटरनेशनल डेस्कः तुर्की की सबसे बुजुर्ग महिला मानी जाने वाली होड़ी गुरकान (Hodi Gurkan) का सोमवार को निधन हो गया। वे 131 वर्ष की थीं और तुर्की के इतिहास की एक जीवित गवाह थीं। उन्होंने अपनी अंतिम सांस दक्षिण-पूर्वी तुर्की के शानलिउरफा प्रांत के विरानशेहिर जिले के एक छोटे से गांव बिनेकली में ली।

1894 में हुआ था जन्म, देखी तीन सदियों की दुनिया

आधिकारिक जनगणना रिकॉर्ड के अनुसार, गुरकान का जन्म 1 जुलाई 1894 को हुआ था। इसका अर्थ है कि उन्होंने:

वो एक ऐसी जीवित किताब थीं, जिसमें तुर्की के इतिहास के 100 वर्षों से अधिक का अनुभव और ज्ञान समाया हुआ था।

गांव से कभी नहीं निकलीं, वहीं बिताया पूरा जीवन

होड़ी गुरकान ने अपना पूरा जीवन उसी गांव बिनेकली में बिताया, जहाँ वे पैदा हुई थीं। यह गांव विरानशेहिर कस्बे से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है।
उन्होंने 7 बच्चों को जन्म दिया, और उनके वंशजों की संख्या अब:

  • 110 पोते-पोतियां

  • और सैकड़ों परपोते-परपोतियों तक पहुंच चुकी है।

गांव की 'दादी अम्मा' और समाज की मार्गदर्शक

गांव के लोग उन्हें केवल एक बुज़ुर्ग महिला नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की दादी अम्मा मानते थे। उनका ज्ञान, अनुभव, और सादगी लोगों को संस्कृति, परंपरा और जीवन जीने की कला सिखाता था। हर त्योहार, विवाह या मुश्किल घड़ी में उनकी मौजूदगी शुभ मानी जाती थी। उनके निधन से गांव में गहरा शोक है। उनकी अंतिम यात्रा बिनेकली गांव के ही कब्रिस्तान में संपन्न हुई, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए।

एक इतिहास, एक जीवन, जो अब सिर्फ यादों में रहेगा

होड़ी गुरकान का जीवन सिर्फ 131 साल की उम्र का आँकड़ा नहीं था, वह तुर्की के लिए एक जीवंत दस्तावेज़, एक ऐतिहासिक धरोहर और एक समुदाय की आत्मा थीं। उनकी सादगी, संयम, अनुशासन और पारिवारिक मूल्यों ने आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। अब वो भले इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी विरासत उनके बच्चों और पोतों के ज़रिये जीवित रहेगी।

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