दलाई लामा ने 8 साल के अमेरिकी मंगोलियाई बच्चे को बनाया बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा धर्मगुरु, चीन की बोलती की बंद

Edited By Updated: 26 Mar, 2023 06:12 PM

us child named reincarnation of buddhist spiritual leader by the dalai lama

बौद्ध धर्म के वरिष्ठ नेता दलाई लामा ने 8 साल के अमेरिकी मंगोलियाई बच्चे को तिब्बती बौद्ध धर्म में तीसरे सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेता के...

इंटरनेशनल डेस्कः बौद्ध धर्म के वरिष्ठ नेता दलाई लामा ने 8 साल के अमेरिकी मंगोलियाई बच्चे को तिब्बती बौद्ध धर्म में तीसरे सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेता के रूप में नामित कर चीन  की बोलती बंद कर दी है ।  द टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस धार्मिक मौके पर लगभग 600 मंगोलियाई अपने नए आध्यात्मिक नेता का जश्न मनाने के लिए जुटे । सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों में देखा गया कि 87 वर्षीय दलाई लामा से एक बच्चा लाल वस्त्र और मास्क पहने मिल रहा है।मीडिया रिपोर्टों के अनुसार धर्मगुरू  मंगोलियाई  बच्चा  अगुइदई और अचिल्टाई अल्टानार नाम के जुड़वां बच्चों में से एक है, हालांकि, दोनों में से कौन है अभी स्पष्ट नहीं है।  इनके माता-पिता का नाम अलतनार चिंचुलुन और मोनखनासन नर्मंदख है।

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नए धर्मगुरु बच्चे के पिता विश्वविद्यालय में  गणित के प्रोफेसर
बच्चे के पिता अलतनार चिंचुलुन एक विश्वविद्यालय के गणित के प्रोफेसर और एक राष्ट्रीय संसाधन समूह के कार्यकारी हैं। लड़के की दादी मंगोलिया की गरमजाव सेडेन पूर्व सांसद रही हैं। दलाई लामा ने इस बच्चे को 10 वें खलखा जेटसन धम्पा रिनपोछे का पुनर्जन्म बताया है।  बता दें कि बौद्ध धर्म में धर्मगुरुओं के पुनर्जन्म को खास महत्व दिया जाता है। धर्मगुरु के पुनर्जन्म का समारोह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित किया गया, जहां 600 मंगोलियाई अपने नए आध्यात्मिक नेता का जश्न मनाने के लिए जुटे थे। यहीं दलाई लामा भी रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार दलाईलामा ने 2 दिन पहले ही कहा था कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं  है।  बता दें कि तिब्बती धर्म गुरु और 87 साल के दलाई लामा धर्मशाला में निर्वासन में रहते हैं और भारत और चीन के बीच दलाई लामा को लेकर अकसर विवाद होता रहता है।

 

चीन की नाराजगी का खतरा बढ़ा
इस समारोह से मंगोलिया के पड़ोसी चीन का गुस्सा और भड़कने की संभावना है।   रिपोर्ट के मुताबिक, दलाई लामा ने 2016 में मंगोलिया का दौरा किया था, जिसकी चीन ने कड़ी आलोचना की थी।  मंगोलिया में जन्म बच्चे को बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता देने के कदमों से चीन नाराज हो सकता है। चीन ने पहले ही जोर देकर कहा है कि वह केवल उन बौद्ध नेताओं को मान्यता देगा, जिन्हें चीनी सरकार से अनुमोदित स्पेशल टीम ने चुना हो। दलाई लामा के इस कदम से मंगोलिया में खुशी और डर दोनों देखा जा रहा है। मंगोलियाई लोगों को डर है कि दलाई लामा के इस फैसले से नाराज चीन उनके देश के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई कर सकता है। मंगोलिया पहले से ही चीनी आक्रामकता का शिकार रहा है, जिसने इनर मंगोलिया के नाम से एक बड़े हिस्से पर कब्जा जमा रखा है।

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दखल न देना  चीन के लिए होगी  ज्यादा समझदारी
चीनी सरकार ने कथित तौर पर कहा कि इस यात्रा ने चीन-मंगोलिया संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाला। उलानबटोर छोड़ने से पहले, दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण लामा, जेट्सन धम्पा का मंगोलिया में पुनर्जन्म हुआ था। उन्हें कई दिनों से खोजने का प्रयास जारी था।  उधर, निर्वासित तिब्बती सरकार के अध्यक्ष ने चीन को तिब्बती बौद्ध धर्म के वर्तमान आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी थी। पेनपा त्सेरिंग ने हाल ही में क्योडो न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "इस आध्यात्मिक मामले में किसी भी सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए और मुझे लगता है कि यह चीन के लिए दखल न देना ज्यादा समझदारी है । 

 

दलाई लामा ने  2016 में  किया था बड़ा ऐलान
दलाई लामा ने 2016 में मंगोलिया का दौरा किया था और घोषणा की थी कि जेटसन धम्पा का एक नया अवतार पैदा हुआ है और उसकी खोज चल रही है। इस यात्रा के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए गुस्से का इजहार किया था। चीन ने मंगोलिया को राजनयिक प्रतिक्रिया की धमकी भी दी थी। दलाई लामा को 1937 में पिछले नेता के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया था जब वह सिर्फ दो साल के थे।

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पंचेन लामा को अगवा कर चुका है चीन
1995 में, जब दलाई लामा ने एक नए पंचेन लामा का नाम लिया, तब चीनी अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर गायब कर दिया। उसकी जगह चीन ने अपने द्वारा चुने गए एक बौद्ध को पंचेन लामा के तौर पर प्रस्तुत किया। ऐसे में आशंका है कि चीन कहीं इस बच्चे के खिलाफ भी कोई आक्रामक कार्रवाई न कर दे। दलाई लामा ने खुद बताया है कि उनके निधन के बाद अगला दलाई लामा चीन या चीन नियंत्रित क्षेत्र से नहीं होगा। इससे संकेत मिलता है कि उनका उत्तराधिकारी भारत, नेपाल, भूटान या मंगोलिया जैसे किसी तिब्बती बौद्ध धर्म मानने वाले देशों से हो सकता है।

 

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