वकीलों के कार्य को आवश्यक सेवाओं में शामिल करने की याचिका पर उच्च न्यायालय ने सरकार से मांगा जवाब

Edited By Updated: 07 Jul, 2020 06:04 PM

pti maharashtra story

मुंबई, सात जुलाई (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को उन दो अलग-अलग याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है जिनमें वकीलों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लॉकडाउन के दौरान ‘‘आवश्यक सेवाओं’’ के रूप में घोषित करने का अनुरोध...

मुंबई, सात जुलाई (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को उन दो अलग-अलग याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है जिनमें वकीलों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लॉकडाउन के दौरान ‘‘आवश्यक सेवाओं’’ के रूप में घोषित करने का अनुरोध किया है।
अदालत एक जनहित याचिका (पीआईएल) और एक आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दोनों याचिकाओं में समान राहत की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति अमजद सईद की अगुवाई वाली पीठ ने राज्य को दो सप्ताह के भीतर जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, जबकि न्यायमूर्ति एस के शिंदे की अगुवाई वाली पीठ ने राज्य और भारतीय विधिज्ञ परिषद को शुक्रवार तक रिट याचिका का जवाब देने का निर्देश दिया।
जनहित याचिका वकील चिराग चनानी, सुमित खन्ना और विनय कुमार ने अपने अधिवक्ता श्याम दीवानी के माध्यम से दायर की है।
वकील इमरान शेख ने अपने वकील करीम पठान के माध्यम से आपराधिक रिट याचिका दायर की है।
जनहित याचिका में आग्रह किया गया है कि वकीलों को आवश्यक सेवा प्रदाता घोषित किया जाए और इस तरह, उन्हें शहर में स्थानीय रेल नेटवर्क का उपयोग करने की अनुमति दी जाए।
याचिका में यह तर्क दिया कि वकील अदालत के अधिकारी होते हैं और पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में काम करते हैं। इसलिए, उनकी सेवाओं को आवश्यक माना जाना चाहिए।
रिट याचिका में भी यह तर्क दिया गया कि चूंकि वकील जनता को न्यायपालिका तक पहुंच प्रदान करते हैं, इसलिए उन्हें लॉकडाउन के दौरान स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
शेख ने रिट याचिका तब दायर की जब इससे पहले 29 जून को उन्हें एक यातायात पुलिस कर्मचारी ने उस वक्त रोक दिया था, जब वह काम के सिलसिले में मुंबई में एक अदालत जा रहे थे।
शेख की याचिका के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप वह मजिस्ट्रेट की अदालत में देरी से पहुंचा और उसके मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया गया।
दोनों ही याचिकाओं में यह दलील दी गई है कि चूंकि राज्य भर में अदालतें लॉकडाउन के दौरान काम कर रही हैं, इसलिए वकील, जो अदालत के अधिकारी हैं और इस प्रकार अदालतों के कार्य के लिए आवश्यक होते हैं, को आवश्यक सेवा प्रदाताओं के रूप में राज्य और केंद्र सरकारों को मान्यता देनी चाहिए।
रिट याचिका में अदालत से राज्य सरकार को अदालत में जाने के उद्देश्य से लॉकडाउन प्रतिबंधों से "वकीलों और अदालत के कर्मचारियों को छूट" देने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
जनहित याचिका में अदालत से वकीलों को काम पर जाने के लिए उपनगरीय ट्रेनों का उपयोग करने की अनुमति देने का भी आग्रह किया गया है।


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