एमवीए की चुनौतियों के बीच छोटी पार्टियों के 29 विधायकों और निर्दलियों की भूमिका अहम

Edited By Updated: 21 Jun, 2022 05:49 PM

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मुंबई, 21 जून (भाषा) शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे के कुछ पार्टी विधायकों के साथ गुजरात में डेरा डालने के कारण महाराष्ट्र की महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार की स्थिरता से जुड़ी अनिश्चितता के बीच छोटी पार्टियों के 29 विधायकों और निर्दलीय...

मुंबई, 21 जून (भाषा) शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे के कुछ पार्टी विधायकों के साथ गुजरात में डेरा डालने के कारण महाराष्ट्र की महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार की स्थिरता से जुड़ी अनिश्चितता के बीच छोटी पार्टियों के 29 विधायकों और निर्दलीय विधायकों की भूमिका अहम हो गयी है।
शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन के कारण 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा में एक पद रिक्त है। किसी भी पार्टी या गठबंधन को साधारण बहुमत के साथ सत्ता में रहने के लिए फलहाल 144 विधायकों की जरूरत होगी।
महा विकास अघाडी (एमवीए) गठबंधन की सरकार में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल हैं। गठबंधन सरकार ने 30 नवंबर, 2019 को विधानसभा के पटल पर विश्वास मत हासिल किया था, जिसमें 169 विधायकों ने गठबंधन के पक्ष में मतदान किया था।

शिवसेना के पास फिलहाल 55 विधायक हैं, राकांपा के 53 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। भाजपा ने साल 2019 में 105 सीट जीती थीं, लेकिन उपचुनाव में राकांपा से पंढरपुर विधानसभा सीट छीनने के बाद भाजपा विधायकों की संख्या बढ़कर 106 हो गई।
सदन में 13 निर्दलीय हैं, जिनमें से एक राजेंद्र पाटिल येद्रवकर शिवसेना कोटे से एमवीए सरकार में मंत्री हैं।
इसी तरह नेवासा से क्रांतिकारी शेतकारी पक्ष के विधायक शंकरराव गडख और प्रहार जनशक्ति पार्टी के बच्चू कडू भी शिवसेना कोटे से मंत्री हैं। प्रहार जनशक्ति पार्टी के सदन में दो विधायक हैं।
तेरह निर्दलीय उम्मीदवारों में से छह भाजपा के समर्थक हैं, पांच ने शिवसेना को समर्थन किया है, जबकि कांग्रेस और राकांपा को एक-एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है।
विनय कोरे (जनसुराज्य शक्ति पार्टी) और रत्नाकर गुट्टे (राष्ट्रीय समाज पक्ष) भी भाजपा के समर्थक हैं।
इसके अलावा देवेंद्र भुयार (स्वाभिमानी पक्ष) और श्यामसुंदर शिंदे (पीडब्ल्यूपी) राकांपा के समर्थक हैं।
इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र की छह सीट के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में दो-दो विधायक वाली एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस का समर्थन किया था, जबकि बहुजन विकास अघाडी (बीवीए) के तीन विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया था।



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