Edited By Parveen Kumar,Updated: 27 Nov, 2025 06:06 PM

महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां हिंजेवाड़ी स्थित एक आंगनवाड़ी में कार्यकर्ता और सहायिका ने करीब 20 मासूम बच्चों को कमरे में बंद कर बाहर से ताला लगा दिया। इसके बाद दोनों ग्राम पंचायत की बैठक में शामिल होने चली...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां हिंजेवाड़ी स्थित एक आंगनवाड़ी में कार्यकर्ता और सहायिका ने करीब 20 मासूम बच्चों को कमरे में बंद कर बाहर से ताला लगा दिया। इसके बाद दोनों ग्राम पंचायत की बैठक में शामिल होने चली गईं। इस गैर-जिम्मेदाराना हरकत का वीडियो सामने आने के बाद अभिभावकों और स्थानीय लोगों में गुस्सा फैल गया है।
जानकारी के मुताबिक, घटना 26 नवंबर को सुबह 11 से 12 बजे के बीच हुई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सविता शिंदे और सहायिका शिल्पा साखरे को ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच द्वारा बुलाई गई मीटिंग में जाना था। मीटिंग का समय आंगनवाड़ी के कामकाज से टकरा रहा था, लेकिन दोनों ने बच्चों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना उन्हें कमरे में बंद कर दिया और बाहर से ताला लगाकर निकल गईं।
करीब एक घंटे तक कमरे में बंद रहे बच्चे डर और घबराहट के कारण जोर-जोर से रोने लगे। वीडियो सामने आने पर लोगों ने तुरंत मुलशी पंचायत समिति के बाल विकास परियोजना अधिकारी धनराज गिरम को सूचना दी। मामला गंभीर मानते हुए अधिकारी ने तत्काल दोनों कर्मचारियों को मीटिंग छोड़कर लौटने और ताला खोलने का आदेश दिया।
जब तक ताला खोला गया, बच्चे बेहद सहमे हुए थे। घटनास्थल पर मौजूद अभिभावकों ने आंगनवाड़ी प्रबंधन की लापरवाही पर कड़ी नाराज़गी जताई। छोटे बच्चों को बिना निगरानी के कमरे में बंद करना न केवल गैर-कानूनी है बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी बेहद जोखिमभरा है। किसी भी आपात स्थिति में उनके फंसने की आशंका बनी रहती।
फिलहाल इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन बाल विकास परियोजना अधिकारी धनराज गिरम ने आश्वासन दिया है कि कार्यकर्ता सविता शिंदे और सहायिका शिल्पा साखरे के खिलाफ सख़्त अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएंगे।