Edited By Yaspal,Updated: 07 Dec, 2019 07:46 PM
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कॉडर अधिकारियों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीआरपीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के बाद अब सीआईएसएफ के अधिकारियों ने भी ‘ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस’, गैर कार्यात्मक...
नेशनल डेस्कः भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कॉडर अधिकारियों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीआरपीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के बाद अब सीआईएसएफ के अधिकारियों ने भी ‘ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस’, गैर कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन (एनएफएफयू) और गैर-कार्यात्मक चयन ग्रेड (एनएफएसयू) जैसे मामलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की शरण ली है।
अदालत में दी याचिका में सीआईएसएफ के 332 अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने आर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस को लेकर जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उनका पालन नहीं हो रहा है। डीआईजी या आईजी के जिन पदों पर कॉडर अधिकारियों को तैनात करने की बात कही गई थी, वहां नियमों के खिलाफ कथित तौर पर आईपीएस अफसरों को नियुक्ति दी जा रही है। पिछले माह आईटीबीपी में भी ऐसा ही मामला देखने को मिला था।
ऑर्गेनाइज्ड सर्विस कैडर से जुड़े मामले में 18 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने आईटीबीपी में कॉडर रिव्यू होने के बाद नए सृजित किए गए आईजी के पचास फीसदी पदों को डेपुटेशन के जरिए भरने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि अगले आदेश तक आईटीबीपी में एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड पर कोई भी नियुक्ति डेपुटेशन से नहीं की जानी चाहिए।
सीआईएसएफ के कॉडर अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में 9 जनवरी को सुनवाई होगी। इसमें कहा गया है कि बल के उन पदों पर आईपीएस की तैनाती की जा रही है, जिनपर कायदे से कॉडर अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस को लेकर जो गाइडलाइंस जारी की हैं, उनका उल्लंघन हो रहा है।