चीन से टक्कर: लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर तैनात होंगे भारत के 35000 जवान

Edited By Pardeep,Updated: 31 Jul, 2020 12:12 AM

35000 indian soldiers will be deployed on the snowy peaks of ladakh

पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच अभी तनाव जारी है और इसके आगे लंबा खींचने के संकेत हैं। ऐसे में भारत पहाड़ों और सर्दियों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित अपने 35,000 अतिरिक्त जवानों की तै

नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच अभी तनाव जारी है और इसके आगे लंबा खींचने के संकेत हैं। ऐसे में भारत पहाड़ों और सर्दियों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित अपने 35,000 अतिरिक्त जवानों की तैनाती करने जा रहा है। ये जवान बर्फीली चोटियों पर हर परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित हैं और मानसिक तौर पर भी तैयार हैं। 

पिछले महीने गलवान घाटी में चीन की तरफ से की गई नापाक हरकत के बाद भारत अब किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि अब भारत ने सर्दियों और बदलते मौसम को ध्यान में रखते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब पूर्वी लद्दाख में 35000 जवानों को तैनात करने की तैयारी कर ली है। 

चीनियों से अधिक प्रशिक्षित भारतीय सैनिक  
भारत पहाड़ों और सर्दियों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित अपने जिन अतिरिक्त जवानों की तैनाती करने जा रहा है, ये जवान बर्फीली चोटियों पर हर परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित हैं और मानसिक तौर पर भी तैयार हैं। इसके उलट एलएसी पर तैनात चीनी सैनिक ऐसी परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। इन सैनिकों को चीन के मुख्य और जमीनी इलाकों से लाकर लद्दाख में तैनात किया गया है। इस वजह से ये ऊंचाई वाले इलाकों और भीषण ठंड के आदी नहीं हैं। 

सर्दियों में चीनी सैनिकों पर भारी पड़ेंगे भारतीय जांबाज 
सरकार के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी से बातचीत में बताया कि सरकार लद्दाख में तैनात अपने सभी सैनिकों को कड़कड़ाती हुई बर्फीली ठंड से राहत और बचाव के लिए एक्स्ट्रीम कोल्ड वेदर पोर्टेबल केबिन मुहैया करवाएगी। ये सैनिक पहले से ही सियाचिन, पूर्वी लद्दाख और उत्तर पूर्वी इलाकों में तैनात रह चुके हैं। ये सभी सर्दियों में लंबे समय तक ये मोर्चे पर डटे रहने के लिए दिमागी और शारीरिक रूप से भी तैयार हैं। अधिकारी के मुताबिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में जिन सैनिकों को तैनात किया है, वह अनिवार्य भर्ती कार्यक्रम के तहत केवल 2-3 साल के लिए सेना में आए हैं। इसके बाद वे अपने सामान्य जीवन में लौट जाएंगे।

सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात रहती है भारतीय सेना
सरकारी सूत्र के मुताबिक फिलहाल चीनी सैनिकों की तुलना में भारत ने पर्याप्त मात्रा में जवानों की तैनाती कर रखी है। वहीं सर्दियों के लिए भी भारतीय सेना के पास कपड़ों और राशन की जरूरी खेप मौजूद है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारतीय सेना दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में तैनात रहती है और ऐसी हालातों के लिए कई वर्षों से तैयार रहती है।

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