Edited By Mahima,Updated: 07 May, 2024 11:28 AM
भारत में यूपीआई के इस्तेमाल से खरीदारी आसान और कैश रखने की मजबूरी खत्म हुई है, लेकिन खर्च बढ़ा है। आईआईआईटी, दिल्ली (इंद्रप्रस्थ इंस्टिट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) के सर्वे में पता चला कि यूपीआई की वजह से भारतीय ज्यादा खर्च करने लगे हैं।
नेशनल डेस्क: भारत में यूपीआई के इस्तेमाल से खरीदारी आसान और कैश रखने की मजबूरी खत्म हुई है, लेकिन खर्च बढ़ा है। आईआईआईटी, दिल्ली (इंद्रप्रस्थ इंस्टिट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) के सर्वे में पता चला कि यूपीआई की वजह से भारतीय ज्यादा खर्च करने लगे हैं। 74.2% यानी 4 में से 3 भारतीयों का मानना है कि यूपीआई की वजह से उनके खर्च करने का पैटर्न बदल गया है। वे गैर जरूरी खर्च कर रहे हैं।
ऑनलाइन पेमेंट की वजह से उन्हें एहसास नहीं होता कि वे ज्यादा खर्च कर रहे हैं। दरअसल, कैश खर्च होने पर अपने पास से कुछ जाने का एहसास होता है। इसलिए खर्च का दर्द महसूस होता है। इसलिए लोग खर्च करने से पहले सोचते हैं। ऑनलाइन पेमेंट में खर्च में कुछ खोने जैसा एहसास नहीं होता। इसलिए खर्च का पता नहीं चलता। ऑनलाइन पेमेंट में पैसे सिर्फ नंबर जैसे लगते हैं, जो कम ज्यादा होते रहते हैं। जैसे-यूपीआई के जरिए 2500 रुपए का पेमेंट करने में लोग उतना नहीं सोचते, जितना कि 500 के 5 नोट के जरिए किसी चीज का पेमेंट करने में सोचते हैं।
आईआईआईटी दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने अपने छात्रों के साथ 18 साल और उससे ऊपर के लोगों पर सर्वे किया। इसमें पता चला कि 74.2% लोगों का खर्च यूपीआई का इस्तेमाल शुरू करने के बाद बढ़ा है। साथ ही यह भी पता चला कि 91.5% लोग यूपीआई से पूरी तरह संतुष्ट हैं। जबकि 95.2% ने किसी भी पेमेंट के लिए यूपीआई को सबसे आसान और विश्वसनीय माना। 2016 में शुरू हुए यूपीआई ने 8 साल में देश में पेमेंट का तरीका ही नहीं एहसास भी बदल दिया है।
छोटे कारोबारियों की बचत बढ़ी, वजह- खाते में पैसे जाना
यूपीआई के इस्तेमाल की वजह से छोटे कारोबारियों जैसे ठेले-खोमचे वाले, गुमटियों में सामान बेचने वालों की बचत बढ़ी है। यूपीआई पेमेंट की वजह से उनका सारा पैसा सीधे खाते में जाता है, जिससे उनकी बचत और उससे मिलने वाला ब्याज दोनों बढ़े हैं। वहीं, इस सर्वे में करीब 25% लोगों ने यह माना कि यूपीआई इस्तेमाल से उनकी बचत बढ़ी है।