आतंकियों ने फिर किया नरसंहार, महिलाओं समेत 66 लोगों को मौत के घाट उतारा, इस्लामिक स्टेट से जुड़ा कनेक्शन

Edited By Updated: 13 Jul, 2025 09:17 AM

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डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो एक बार फिर आतंक की आग में जल उठा। युगांडा सीमा से लगे इरुमु इलाके में इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकी संगठन अलायड डेमोक्रेटिक फोर्सेस (ADF) ने 66 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी। यह हमला इतना बर्बर था कि आतंकियों...

नेशनल डेस्क: अफ्रीका के दिल में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के इरुमु क्षेत्र में आतंक का ऐसा तांडव देखने को मिला, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े आतंकी संगठन ADF ने महिलाओं समेत 66 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी। हत्याओं का यह सिलसिला सिर्फ गोलियों से नहीं, बल्कि तेजधार चाकुओं से काटकर अंजाम दिया गया। इस नरसंहार की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गांवों में सिर्फ चीखें और खून के धब्बे बाकी रह गए। स्थानीय अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र इसे "खून का सैलाब" कह रहे हैं।

मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रवक्ता जीन टोबी ओकाला ने इस घटना को ‘खून का सैलाब’ बताया। उन्होंने कहा कि गुरुवार और शुक्रवार को पहले 30 मौतों की खबर मिली थी लेकिन अब आंकड़ा बढ़कर 66 तक पहुंच गया है। स्थानीय सिविल सोसाइटी प्रमुख मार्सेल पालुकु ने बताया कि यह हमला पूरी तरह सुनियोजित था और बेहद क्रूरता से अंजाम दिया गया। स्थानीय लोगों के अनुसार, कई लोग अब भी लापता हैं और यह आशंका है कि उन्हें अगवा कर जंगलों में ले जाया गया हो सकता है।

ADF: एक पुराना आतंकी चेहरा, नया रंग

ADF, यानी अलायड डेमोक्रेटिक फोर्सेस, एक युगांडाई इस्लामी उग्रवादी गुट है, जो अब इस्लामिक स्टेट (ISIS) से भी जुड़ चुका है। 2019 से यह संगठन IS से औपचारिक रूप से गठजोड़ कर चुका है और अब खुद को 'इस्लामिक स्टेट - सेंट्रल अफ्रीका प्रांत (ISCAP)' कहता है। यह आतंकी गुट दोनों देशों की सीमाओं पर आम लोगों, बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाकर अपना दबदबा कायम करने की कोशिश करता रहा है।

बमबारी का बदला, निर्दोषों से क्यों?

अधिकारियों के मुताबिक यह हमला कांगो और युगांडा की सेनाओं द्वारा ADF के ठिकानों पर की गई हवाई और ज़मीनी कार्रवाई का बदला हो सकता है। रविवार से ही दोनों सेनाओं ने मिलकर कई इलाकों में बमबारी शुरू की थी, जिससे आतंकी संगठन बौखलाया हुआ था। बदले की आग में जलते इन आतंकियों ने फिर निर्दोष आम लोगों को ही शिकार बना लिया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या कोई जवाबी कार्रवाई जिम्मेदारियों से मुक्त कर सकती है?

कांगो में पहले से ही जटिल हालात

पूर्वी कांगो में पहले से ही हालात बेहद संवेदनशील हैं। यहां पर एक और बागी गुट M23 पहले से सक्रिय है, जिसे रवांडा सरकार का समर्थन प्राप्त है। हालांकि M23 के साथ संघर्ष में थोड़ी नरमी आई है लेकिन ADF के हमलों ने एक नई चुनौती पैदा कर दी है। यहां 10 प्रतिशत मुस्लिम आबादी निवास करती है, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी कांगो में बसे हैं। ADF जैसे कट्टरपंथी गुट इन इलाकों में धार्मिक असंतोष और हिंसा फैलाने का काम करते हैं।

पहले भी रच चुके हैं नरसंहार

ADF के आतंक की ये कोई पहली घटना नहीं है।

  • दिसंबर 2023 में इसी गुट ने नॉर्थ किवु के एक गांव में 10 लोगों को मार डाला था और कई को अगवा कर लिया था।

  • 2021 में, एक स्कूल पर हमले में कई बच्चों को जलाकर मार डाला गया था।

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में इस गुट ने सैकड़ों नागरिकों की हत्या की है और कई गांव उजाड़ दिए हैं।

मानवाधिकार संगठनों की चेतावनी

मानवाधिकार कार्यकर्ता लगातार इस बात की चेतावनी देते रहे हैं कि यदि ADF जैसे आतंकी संगठनों पर सख्ती से रोक नहीं लगाई गई, तो यह पूर्वी अफ्रीका के लिए एक स्थायी आतंकवाद का केंद्र बन सकता है। ADF की गतिविधियां न केवल कांगो, बल्कि युगांडा, रवांडा और यहां तक कि तंजानिया तक खतरा पैदा कर रही हैं।

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