Edited By Radhika,Updated: 11 Dec, 2025 03:55 PM

महाराष्ट्र के पुणे में इंसानियत और कॉर्पोरेट नैतिकता को शर्मसार कर देने वाला एक कथित मामला सामने आया है। पुणे स्थित एक आईटी कंपनी पर आरोप है कि उसने अपने एक अनुभवी कर्मचारी को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने के कारण नौकरी से निकाल दिया।
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे में इंसानियत और कॉर्पोरेट नैतिकता को शर्मसार कर देने वाला एक कथित मामला सामने आया है। पुणे स्थित एक आईटी कंपनी पर आरोप है कि उसने अपने एक अनुभवी कर्मचारी को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने के कारण नौकरी से निकाल दिया।
इलाज कराया, फिर दिया टर्मिनेशन लेटर
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मामला पुणे के येरवडा क्षेत्र में स्थित SLB मल्टीनेशनल नामक आईटी कंपनी का है। संतोष पटोले जिन्हें आईटी सेक्टर में 21 साल का लंबा अनुभव है, यहाँ कार्यरत थे। पटोले ने बताया कि इसी साल अप्रैल में कंपनी के वार्षिक हेल्थ चेकअप के दौरान उन्हें थायरॉयड नोड्यूल इस्थमस कैंसर होने का पता चला था। रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने तुरंत इलाज शुरू कराया और इसके लिए मई और जून महीने की मेडिकल लीव ली। संतोष का दावा है कि जून तक कंपनी ने उनके इलाज का खर्च भी उठाया।
काम पर लौटने से पहले छिन गया रोज़गार
संतोष पटोले के अनुसार, जब उनकी सेहत में सुधार हुआ तो डॉक्टरों ने 1 जुलाई को उन्हें काम पर लौटने की अनुमति देते हुए 'फिटनेस सर्टिफिकेट' भी दे दिया। लेकिन जैसे ही वह जुलाई में काम पर वापस आने की तैयारी कर रहे थे, 23 जुलाई को कंपनी ने उन्हें अचानक टर्मिनेट (नौकरी से निकालने) करने का लेटर थमा दिया।
संतोष ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने उन पर गलत आरोप लगाकर नौकरी से निकाला है। अचानक रोज़गार छिन जाने से उनके सामने खर्चों और महंगे इलाज की ज़िम्मेदारी का भारी बोझ आ गया है। यह मामला एक कर्मचारी के संकट के समय कॉर्पोरेट सपोर्ट की कमी को दर्शाता है।