Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Dec, 2025 10:12 AM

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब सिर्फ काम आसान करने का जरिया नहीं रहा, बल्कि इसके गलत इस्तेमाल से रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में AI की मदद से तैयार किए गए फर्जी ट्रेन टिकट का मामला सामने आने के बाद रेलवे ने देशभर में...
नेशनल डेस्क: रेल यात्रियों के लिए रेलवे ने नया नियम लागू किया है, जो डिजिटल टिकट को लेकर अहम बदलाव लाता है। अब यूटीएस, एटीवीएम या काउंटर से जारी अनारक्षित टिकट (ई-टिकट और एमटी कट को छोड़कर) केवल मोबाइल स्क्रीन पर दिखाना पर्याप्त नहीं होगा। यात्रियों को टिकट की भौतिक कॉपी अपने पास रखना अनिवार्य होगा। रेलवे का यह कदम फर्जीवाड़ा रोकने के लिए उठाया गया है।
दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब सिर्फ काम आसान करने का जरिया नहीं रहा, बल्कि इसके गलत इस्तेमाल से रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में AI की मदद से तैयार किए गए फर्जी ट्रेन टिकट का मामला सामने आने के बाद रेलवे ने देशभर में सतर्कता बढ़ा दी है और जांच प्रणाली को और सख्त कर दिया है।
AI से बना टिकट, एक से सात यात्री!
मामला तब उजागर हुआ जब जयपुर रूट पर जांच के दौरान कुछ छात्र मोबाइल में टिकट दिखाकर सफर कर रहे थे। पहली नजर में टिकट पूरी तरह असली लग रहा था—QR Code, यात्रा विवरण और किराया सब कुछ सही दिखाई दे रहा था। लेकिन जब टीसी ने गहराई से जांच की, तो चौंकाने वाला सच सामने आया। दरअसल, छात्रों ने एक ही अनारक्षित टिकट को AI टूल की मदद से एडिट कर उसमें सात यात्रियों की एंट्री दिखा दी थी। यानी एक टिकट, सात यात्रियों का सफर।
रेलवे अलर्ट मोड में, सभी मंडलों को चेतावनी
इस घटना के बाद रेलवे ने झांसी-ग्वालियर मंडल समेत मध्य प्रदेश और अन्य सभी मंडलों में अलर्ट जारी कर दिया है। अब टीटीई और टीसी के मोबाइल व टैबलेट में विशेष टीटीई ऐप अनिवार्य रूप से इंस्टॉल कराया जा रहा है, जिससे तुरंत टिकट की डिजिटल जांच की जा सके।
अब ऐसे पकड़ा जाएगा फर्जी टिकट
रेलवे ने साफ निर्देश दिए हैं कि संदेह होने पर क्यूआर कोड स्कैन कर यूटीएस नंबर और कलर कोड की जांच की जाएगी। इससे यह तुरंत पता चल सकेगा कि टिकट असली है या डिजिटल हेरफेर का नतीजा।
रेलवे अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि UTS, ATVM या काउंटर से जारी अनारक्षित टिकट (E-Ticket और एम-टिकट को छोड़कर) यात्री के पास भौतिक रूप में होना जरूरी है। केवल मोबाइल में दिखाया गया टिकट मान्य नहीं होगा।
दलालों पर भी नजर
रेलवे को आशंका है कि भविष्य में टिकट दलाल भी AI जैसी तकनीक का सहारा ले सकते हैं। इसी वजह से जांच प्रक्रिया को तकनीकी रूप से मजबूत किया जा रहा है ताकि किसी भी तरह की डिजिटल धोखाधड़ी को शुरुआती स्तर पर ही पकड़ा जा सके।