इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला: अलग रह रही पत्नी अपने पति की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार

Edited By Updated: 01 Aug, 2025 04:46 PM

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि पति से अलग रह रही पत्नी को भी उसकी मौत के बाद पारिवारिक पेंशन पाने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी का यह अधिकार उन बेटों के अधिकार से ऊपर है, जिन्हें पति ने अपनी सेवा...

नेशनल डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि पति से अलग रह रही पत्नी को भी उसकी मौत के बाद पारिवारिक पेंशन पाने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी का यह अधिकार उन बेटों के अधिकार से ऊपर है, जिन्हें पति ने अपनी सेवा के रिकॉर्ड में नॉमिनी बनाया था। इस फैसले को एक महिला के अधिकारों की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या था पूरा मामला?
यह मामला उर्मिला सिंह नाम की एक महिला की रिट याचिका से जुड़ा है। उर्मिला अपने पति से अलग रह रही थीं और अपनी ज़िंदगी चलाने के लिए हर महीने ₹8,000 के गुजारा भत्ता पर पूरी तरह निर्भर थीं। उनके पति एक सहायक अध्यापक थे और 2016 में सेवानिवृत्त होने के बाद से 2019 में अपनी मृत्यु तक पेंशन प्राप्त कर रहे थे। पति की मौत के बाद, उर्मिला ने पारिवारिक पेंशन (Family Pension) के लिए आवेदन किया, लेकिन उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि पति द्वारा दिए गए दस्तावेज़ों में परिवार के सदस्यों में उनका नाम शामिल नहीं था।

कोर्ट ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया और दावा किया कि वह ग्राम प्रधान के प्रमाण पत्र के आधार पर अपने पति से गुजारा भत्ता प्राप्त कर रही थीं। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने उर्मिला सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए एक अहम आदेश दिया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि:
पारिवारिक पेंशन एक कानूनी अधिकार है, खैरात नहीं: कोर्ट ने कहा, "पारिवारिक पेंशन वैधानिक है और यह कर्मचारी के एकतरफा नियंत्रण से परे है। पारिवारिक पेंशन को एक कानूनी अधिकार के तौर पर माना जाता है, खैरात के तौर पर नहीं।" अलग रह रही पत्नी का अधिकार: कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता की आयु 62 वर्ष है और वह अपने पति से गुजारा भत्ता प्राप्त कर रही थी, इसलिए वह पारिवारिक पेंशन पाने की पूरी तरह हकदार है। अदालत ने 27 जुलाई को प्रतिवादी अधिकारियों को आदेश दिया कि वे तुरंत याचिकाकर्ता के पक्ष में पारिवारिक पेंशन जारी करें। इस फैसले से उन महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी जो पति से अलग रहने के बावजूद आर्थिक रूप से उन पर निर्भर होती हैं।
 

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