Edited By Parveen Kumar,Updated: 12 Dec, 2025 06:51 PM

भारत अपनी संस्कृति, परंपराओं और अनोखी मान्यताओं के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। इन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कल्लू ज़िले के पिनी गांव की सदियों पुरानी परंपरा- एक ऐसी परंपरा, जिसमें गांव की महिलाएं साल में पांच दिन बिना वस्त्रों के...
नेशनल डेस्क: भारत अपनी संस्कृति, परंपराओं और अनोखी मान्यताओं के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। इन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कल्लू ज़िले के पिनी गांव की सदियों पुरानी परंपरा- एक ऐसी परंपरा, जिसमें गांव की महिलाएं साल में पांच दिन बिना वस्त्रों के रहती हैं। यह अनोखी रस्म केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का गहरा प्रतीक मानी जाती है।
धार्मिक मान्यता से जुड़ी पांच दिन की यह अनोखी रस्म
सावन महीने के अंतिम दिनों में पिनी गांव में पाँच दिवसीय विशेष उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान गाँव की महिलाएँ परंपरा के अनुसार कपड़े नहीं पहनतीं और पूर्ण एकांत में रहती हैं। पाँच दिनों तक कोई भी महिला घर से बाहर नहीं निकलती और न ही अपने पतियों या परिवार के अन्य पुरुषों से मिलती है। यह कालखंड महिलाओं के लिए अत्यंत कठिन माना जाता है, लेकिन वे इसे पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाती हैं।
पुरुषों पर भी लगते हैं सख्त नियम
इस उत्सव के समय पुरुषों पर भी कठोर नियम लागू होते हैं। उन्हें अपने घरों में प्रवेश की अनुमति नहीं होती और इस दौरान शराब, मांसाहार या किसी भी तरह के अपवित्र आचरण से पूरी तरह दूर रहना पड़ता है। गाँव वालों का विश्वास है कि नियम तोड़ने पर देवता अप्रसन्न हो सकते हैं और गाँव पर विपत्ति आ सकती है।
इस परंपरा के पीछे छिपी पौराणिक कथा
कहानी के अनुसार, बहुत समय पहले एक दानव बार-बार इस गाँव पर हमला करता था। तब गाँव के संरक्षक देवता लाहु घोंडा ने उस दानव का संहार कर गाँव की रक्षा की। उसी घटना की स्मृति में यह पाँच दिवसीय रस्म शुरू हुई, जो आज भी देवता के सम्मान और गाँव की सुरक्षा के प्रतीक के रूप में निभाई जाती है।
आस्था या रहस्य? गांव के लोगों के लिए यह पहचान
भले ही आधुनिक समाज के लिए यह परंपरा असामान्य लगे, लेकिन पिनी गाँव के लिए यह उनकी पहचान, विश्वास और सांस्कृतिक मूल्यों का अभिन्न हिस्सा है। ग्रामीणों का मानना है कि देवता की कृपा और गाँव की समृद्धि बनाए रखने के लिए इस प्रथा का पालन आवश्यक है।