Edited By Tanuja,Updated: 22 Dec, 2025 06:24 PM

सऊदी अरब ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह सम्मान ऐसे समय मिला है जब पाकिस्तान आतंकवाद, मानवाधिकार हनन और लोकतांत्रिक पतन के आरोपों से घिरा है, जिससे इस फैसले पर अंतरराष्ट्रीय...
Islamabad: लोकतांत्रिक सरकारों को कमजोर करने, आंतरिक दमन और आतंकवाद को लेकर वैश्विक आलोचना झेल रहे पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया है। यह सम्मान ऐसे समय दिया गया है जब पाकिस्तान गंभीर राजनीतिक अस्थिरता, मानवाधिकार उल्लंघनों और सुरक्षा संकटों से जूझ रहा है। पाकिस्तानी सेना के अनुसार, ‘खादिम-अल-हरमैन-उल-शरीफैन’ शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के शाही आदेश पर आसिम मुनीर को ‘किंग अब्दुलअजीज मेडल ऑफ एक्सीलेंस (क्लास)’ प्रदान किया गया, जिसे सऊदी अरब का सर्वोच्च राष्ट्रीय नागरिक सम्मान माना जाता है।
सेना के बयान में कहा गया कि सऊदी नेतृत्व ने मुनीर की “पेशेवर दक्षता और रणनीतिक दृष्टिकोण” की सराहना की। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यही आसिम मुनीर पाकिस्तान में राजनीतिक दमन, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियों, मीडिया पर दबाव और बलूचिस्तान व खैबर पख्तूनख्वा में सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सम्मान ऐसे दौर में दिया गया है जब पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को लेकर नरम रुख, अफगानिस्तान नीति की विफलता और इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद लोकतंत्र को कुचलने के आरोप लगातार लग रहे हैं। ऐसे में सऊदी अरब का यह कदम नैतिक से ज्यादा रणनीतिक माना जा रहा है। आसिम मुनीर ने इस सम्मान को स्वीकार करते हुए शाह सलमान और सऊदी नेतृत्व के प्रति आभार जताया और इसे पाकिस्तान-सऊदी “अटूट रिश्तों” का प्रतीक बताया।
उन्होंने सऊदी अरब की सुरक्षा और स्थिरता के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता दोहराई। अपनी यात्रा के दौरान मुनीर ने सऊदी रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान से भी मुलाकात की, जहां क्षेत्रीय सुरक्षा, सैन्य सहयोग और उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों पर चर्चा हुई। विश्लेषकों का कहना है कि यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट में फंसा है और खाड़ी देशों से समर्थन की सख्त जरूरत में है। कुल मिलाकर, आसिम मुनीर को मिला यह सम्मान पाकिस्तान की जमीनी हकीकत और अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच गहरे विरोधाभास को उजागर करता है, जहां एक ओर सेना को सम्मान मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर आम नागरिक अस्थिरता और दमन का सामना कर रहे हैं।