सावधान! बच्चों में तेजी से बढ़ रही है ये समस्या, नहीं दिया ध्यान तो जा सकती आंखों की रोशनी

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 10:31 PM

be careful this problem is increasing rapidly among children

भारत में बच्चों की दृष्टि स्वास्थ्य को लेकर एक गंभीर संकट उभर रहा है। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि मायोपिया (निकट दृष्टि दोष)—जिसमें व्यक्ति पास की वस्तुएं तो स्पष्ट देख सकता है, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं—का प्रकोप 5 से 15 वर्ष...

नेशनल डेस्कः भारत में बच्चों की दृष्टि स्वास्थ्य को लेकर एक गंभीर संकट उभर रहा है। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि मायोपिया (निकट दृष्टि दोष)—जिसमें व्यक्ति पास की वस्तुएं तो स्पष्ट देख सकता है, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं—का प्रकोप 5 से 15 वर्ष के बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है।

तेजी से बढ़ती दरें: आंकड़ों में खतरे का संकेत

यह वृद्धि विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में अधिक देखी जा रही है, जहां बच्चों का स्क्रीन टाइम अधिक, और बाहरी गतिविधियों में भागीदारी कम होती जा रही है।

कोविड-19 और स्क्रीन टाइम: दृष्टि पर बढ़ता बोझ

कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं और डिजिटल मनोरंजन के बढ़ते उपयोग ने बच्चों की आंखों पर अतिरिक्त दबाव डाला।

  • स्क्रीन के लगातार संपर्क में रहने से आंखों की मांसपेशियां थकती हैं और नेत्र की आकृति (eyeball elongation) में परिवर्तन होता है, जो मायोपिया का मूल कारण है।

  • बच्चों को घंटों मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप की स्क्रीन पर टिके रहने की आदत दृष्टि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक सिद्ध हो रही है।

मायोपिया से जुड़ी संभावित जटिलताएं

यदि समय पर ध्यान न दिया जाए, तो मायोपिया केवल चश्मा लगाने तक सीमित नहीं रहता। यह आगे चलकर अन्य गंभीर नेत्र रोगों को जन्म दे सकता है, जैसे:

  • रेटिनल डिटैचमेंट (Retinal Detachment)

  • ग्लूकोमा

  • मोतियाबिंद

  • दृष्टिहीनता (Vision Loss)

बचाव के उपाय: माता-पिता और स्कूलों की भूमिका अहम

विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर हस्तक्षेप और जीवनशैली में बदलाव से मायोपिया को रोका या उसकी गति को धीमा किया जा सकता है।

1. नियमित नेत्र जांच:

हर 6 से 12 महीनों में बच्चों की आंखों की जांच कराना आवश्यक है, ताकि शुरुआती लक्षणों को समय रहते पहचाना जा सके।

2. बाहरी गतिविधियों को बढ़ावा देना:

रोजाना कम से कम 90 से 120 मिनट तक धूप में रहना मायोपिया के विकास को रोकने में सहायक माना जाता है। धूप प्राकृतिक रूप से डोपामिन स्राव को प्रेरित करती है, जो नेत्र गोलक की लंबाई को नियंत्रित करता है।

 3. 20-20-20 नियम अपनाएं:

हर 20 मिनट बाद, कम से कम 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें। यह आंखों को आराम देता है और फोकसिंग मसल्स को रिलैक्स करता है।

4. स्क्रीन टाइम सीमित करें:

  • 2 से 5 साल के बच्चों के लिए दिन में 1 घंटे से अधिक स्क्रीन न हो।

  • 6 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को शिक्षण और अवकाश में संतुलित किया जाए।

 5. एर्गोनोमिक सेटअप:

पढ़ाई या स्क्रीन देखने के दौरान पर्याप्त रोशनी, उचित दूरी (कम से कम 18–24 इंच), और सही बैठने की मुद्रा सुनिश्चित करें।

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