मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना कितना कठिन? महाभियोग के बाद भी प्रकिया नहीं होती आसान, जानें पूरा तरीका

Edited By Updated: 18 Aug, 2025 02:03 PM

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भारत का मुख्य चुनाव आयुक्त देश के निर्वाचन आयोग का प्रमुख होता है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संभालता है। विपक्षी दल देश के मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी में हैं। लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त को...

नेशनल डेस्क : भारत का मुख्य चुनाव आयुक्त देश के निर्वाचन आयोग का प्रमुख होता है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संभालता है। विपक्षी दल देश के मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी में हैं। लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना एक अत्यंत जटिल और कठिन प्रक्रिया है, जिसमें संसद की मंजूरी और विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। चलिए आपको बताते हैं इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में।

महाभियोग की प्रक्रिया

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 324(5) में प्रावधान है कि इसे सुप्रीम कोर्ट के जजों को हटाने की प्रक्रिया के समान आधारों पर ही लागू किया जा सकता है। यह प्रक्रिया, जिसे सामान्यतः महाभियोग कहा जाता है, संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — में विशेष बहुमत के साथ प्रस्ताव पारित करने की मांग करती है।

प्रक्रिया के चरण
प्रस्ताव पेश करना – महाभियोग प्रस्ताव को संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। लोकसभा में इसे कम से कम 100 सांसदों या राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ पेश करना होता है। लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति के पास इस प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार होता है। अगर प्रस्ताव स्वीकार होता है तो कमेटी गठन की व्यवस्था होती है।

जांच समिति का गठन – प्रस्ताव स्वीकार होने पर संसद के पीठासीन अधिकारी (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति) एक जांच समिति का गठन करते हैं। इस समिति में आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट के जज, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रख्यात कानूनविद शामिल होते हैं। यह समिति आरोपों की जांच करती है और यह तय करती है कि क्या ये आरोप सिद्ध होते हैं।

संसद में मतदान – जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव पर मतदान होता है। प्रस्ताव को पारित करने के लिए दो शर्तें पूरी होनी चाहिए — विशेष बहुमत। दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया अत्यंत कठिन है, क्योंकि दोनों सदनों में इतना बड़ा समर्थन जुटाना आसान नहीं होता।

राष्ट्रपति की मंजूरी – यदि दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति इस प्रस्ताव को मंजूरी देकर मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से हटा सकते हैं।

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