मुख्यमंत्री ने किया -लम्हो की शबनम-काव्य संग्रह का विमोचन

Edited By Updated: 18 Nov, 2022 06:54 PM

chief minister released lamho ki shabnam

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज यहां कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा द्वारा रचित पांचवा कविताओं का संग्रह ’’लम्हों की शबनम’’ का विमोचन किया। उन्होंने अपने विचारों को विभिन्न कविताओं की लड़ी में पिरौते हुए...

चंडीगढ़, 18 नवंबर - (अर्चना सेठी) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज यहां कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा द्वारा रचित पांचवा कविताओं का संग्रह ’’लम्हों की शबनम’’ का विमोचन किया। उन्होंने अपने विचारों को विभिन्न कविताओं की लड़ी में पिरौते हुए कहा कि किताब के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को उजागर करना भी एक कला है जिन्हें कविताओं के माध्यम से लोगोें तक पहुंचाने का कार्य किया है।    

मुख्यमंत्री ने कहा कि डा. मिश्रा में लिखने की बेहतरीन कला है जिसे उच्च पद पर रहते हुए भी समय निकालकर यह संग्रह लिखे है। वह उनकी दुलर्भ प्रतिभा को दर्शाता है और इससे यह भी साबित होता है कि वे गुणों की धनी है। इससे पहले भी उनके चार कविताओं के संग्रह आए हैं उनमें दो अंग्रेजी व दो हिन्दी कविताओं के शामिल है। उन्होंने कामना की कि डा. मिश्रा भविष्य में भी ऐसी ही कविताओं के संग्रह लाती रहें और अपनी लेखनी से अनुभवो को रूबरू करवाती रहें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ’’लम्हों की शबनम’’ के कविता संग्रह में संवेदनशीलता के सकारात्मक पहलुओं को दर्शाने का प्रयास किया गया है। कविता संग्रह से ऐसा प्रतीत होता था कि इसमें महिलाओं के प्रति हो रहे आक्रोश की झलक सामने आएगी लेकिन शबनम जितनी ठण्डी, सुन्दर, पारदर्शी और मन को सुकून देने वाली होती है यह कविता संग्रह उसी परिभाषा को चरितार्थ करता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह संग्रह जहन से नहीं दिल से लिखी हुई रचनाएं हैं जो मार्मिक रिश्तों को भी दर्शाती हैं। रचनाकारों में इतिहास का बोध होना ही उनकी लेखनी को मजबूत और शानदार बनाता है।


उन्होंने इस पुस्तक की काव्य पंक्तियों का उदाहरण देते हुए कहा कि ’’जुनून की उम्र होनी चाहिए उसकी फिराक में पाने जीने में सुख व कोशिश की हद तय होनी चाहिए’’। अन्य पंक्तियांे को पढते हुए उन्होंने कहा कि हे मानव- तुम इस पल को तराशते रहो, वो चट्टान लगे तो तुम्हारा नया बुत उसी में निहार रहा है।

कवियत्री एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने कहा कि इस कविता संग्रह में 75 कविताएं हैं जो आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित है। उन्होंने यह संग्रह अपने टूर पर जाते आते लिखे है। जो रोजमर्रा के जीवन में कोई बात मन को छू जाती है, कोई चुभ जाती है और कोई चुनौती बन जाती है उन्हें अपने अल्फाजों में पिरोकर खुद के लिए मायने ढूंढे है। उन्होंने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पहंुचने पर मुख्यमंत्री आभार जताया।  

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