बाल विवाह निषेध कानून सब धर्मों के नागरिकों पर लागू- केरल हाईकोर्ट

Edited By Updated: 30 Jul, 2024 04:58 PM

child marriage prohibition law applies to all religions  kerala high court

केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हर भारतीय नागरिक, चाहे उसका धर्म या स्थान कुछ भी हो, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 का पालन करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें बाल विवाह निषेध अधिनियम की धारा 10 और 11 के तहत दंडनीय...

नेशनल डेस्क. केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हर भारतीय नागरिक, चाहे उसका धर्म या स्थान कुछ भी हो, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 का पालन करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें बाल विवाह निषेध अधिनियम की धारा 10 और 11 के तहत दंडनीय बाल विवाह के मामलों की कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने आगे कहा कि किसी नागरिक की प्राथमिक पहचान उसके धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण है, जब यह अधिनियम 2006 बाल विवाह को प्रतिबंधित करता है, तो यह मुस्लिम पर्सनल लॉ को पीछे छोड़ देता है। यह अधिनियम विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों पर भी लागू होता है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क किया कि इस्लामी कानून के तहत मुस्लिम लड़की के पास 'खियार-उल-बुलुग' (यौवन का विकल्प) होता है, जो उसे 15 साल की उम्र में शादी का अधिकार देता है। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।

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