चीन ने टेस्ट की दुनिया की सबसे लंबी एयर टू एयर मिसाइल, 1000 KM दूर से ध्वस्त करेगी दुश्मन के जेट !

Edited By Updated: 26 Jul, 2025 04:35 PM

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चीन ने दुनिया की सबसे लंबी रेंज वाली एयर टू एयर मिसाइल  के टेस्ट का दावा करके हवाई युद्ध की तस्वीर ही बदलने की धमकी दे दी है। चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मिसाइल...

Bejing: चीन ने दुनिया की सबसे लंबी रेंज वाली एयर टू एयर मिसाइल  के टेस्ट का दावा करके हवाई युद्ध की तस्वीर ही बदलने की धमकी दे दी है। चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मिसाइल 800 से 1000 किलोमीटर  दूर तक दुश्मन के लड़ाकू विमानों को हवा में ही ढेर कर सकती है और वो भी  हाइपरसोनिक स्पीड में।  1000 KM की हाइपरसोनिक एयर टू एयर मिसाइल-सुनने में भले ही अविश्वसनीय लगे, लेकिन अगर यह हकीकत है तो आने वाले वक्त में आसमान में होने वाली जंग पहले जैसी नहीं रहेगी।

  

आमने-सामने की डॉगफाइट अब पुरानी ! 
आज के समय में फाइटर जेट्स के बीच क्लोज कॉम्बैट बीते जमाने की बात हो गई है। अब हवा में हावी होने का असली हथियार बन चुकी हैं Beyond Visual Range (BVR) यानी एयर टू एयर मिसाइलें। और चीन का नया दावा मौजूदा तकनीक को चार गुना पीछे छोड़ने की बात करता है

  •   भारत की Astra Mk-3 का रेंज करीब 400 KM माना जा रहा है।
  •  अमेरिका की AIM-174B मिसाइल भी करीब 400 KM तक मार करती है।
  •  रूस की R-37M मिसाइल की रेंज भी 350-400 KM है।

 

स्पीड
चीन की यह नई मिसाइल Mach 5 या उससे ज्यादा की हाइपरसोनिक स्पीड से उड़ सकती है। जानकारों के मुताबिक अगर यह दावा सही निकला तो अमेरिका के F-22 Raptor , F-35 Stealth Fighter,  B-21 Raider Bomber जैसे एडवांस लड़ाकू विमान भी इसकी जद में होंगे।

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AAM मिसाइलों का इतिहास
अमेरिका ने सबसे पहले AIM-9 Sidewinder को 1956 में टेस्ट किया था। सोवियत संघ ने K-5 और K-13 मिसाइलें बनाईं, जिनका 1965 में भारत-पाक युद्ध में इस्तेमाल हुआ। फिर AIM-120 AMRAAM, यूरोपीय Meteor, रूसी R-37M जैसी मिसाइलें आईं जिनकी रेंज 200-400 KM तक मानी जाती है।  लेकिन चीन के 1000 KM रेंज  के दावे ने सबको चौंका दिया है।

 

भारत को क्या करना होगा? 
भारत के पास फिलहाल  Astra Mk-1 है, और Mk-2 व Mk-3 जल्द आने वाले हैं लेकिन इनकी रेंज 400 KM के आसपास है। अगर चीन की मिसाइल सच में इतनी घातक निकली, तो भारत को अपनी एयर टू एयर मिसाइल टेक्नोलॉजी में बड़ी छलांग लगानी पड़ेगी। साथ ही  ISRO और DRDO  को ऐसे मॉडर्न सेंसर्स और रडार सिस्टम बनाने होंगे जो इतनी दूर से आ रही हाइपरसोनिक मिसाइलों को वक्त रहते पकड़ सकें। भारत को अपने AWACS, AEW\&CS सर्विलांस एयरक्राफ्ट को भी नए सिरे से सुरक्षा कवच देना होगा। कुछ विशेषज्ञ इसे चीन का प्रोपेगेंडा भी मान रहे हैं। अभी इसकी पुष्टि बाकी है। लेकिन अगर दावा सही निकला, तो जापान, ताइवान से लेकर भारत और अमेरिका तक  सबको अपनी हवाई रणनीति बदलनी पड़ेगी।
 

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