Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Apr, 2020 01:01 PM
देश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है और संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 3374 हो गई है। इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार कोरोना से संक्रमित मरीजों की उम्र का ब्योरा जारी किया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमित मरीजों की उम्र का जो...
नेशनल डेस्कः देश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है और संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 3374 हो गई है। इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार कोरोना से संक्रमित मरीजों की उम्र का ब्योरा जारी किया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमित मरीजों की उम्र का जो ब्योरा जारी किया है वो सच में चौंकाने वाला है क्योंकि आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में 83 फीसदी मरीजों की उम्र 60 वर्ष से कम है। यानि कि जो धारणा लगाई जा रही थी कि बुजुर्गों के इससे ज्यादा खतरा है वो कहीं न कहीं पूरी तरह से सच नहीं हैं। लगाए गए अनुमार के उलट कोरोना के सबसे अधिक मरीज 21 से 60 साल की उम्र के बीच के हैं।
मरीजों की कम उम्र का एक बड़ा फायदा
देश में मरीजों की कम उम्र पर विशेषज्ञों ने कहा कि इसका एक बड़ा फायदा यह हो सकता है कि हमारे देश में कोरोना से होने वाली मृत्युदर अपेक्षाकृत कम रहेगी। यहां पर जर्मनी और इटली का उदाहरण देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि इटली में 56 फीसदी मरीजों की उम्र 60 साल से ज्यादा है। वहां अब तक कोरोना के 1,19,827 मामले सामने आए हैं। इनमें से 14,681 मामलों में मरीज की मौत हो चुकी है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। वहीं दूसरी तरफ जर्मनी में कोरोना के 91,159 मामले दर्ज हो चुके हैं। वहां 82 फीसदी मरीज 60 साल से कम उम्र के हैं। देश में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या 1,275 है, जो इटली से कहीं कम है।
पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. अनंत भान ने स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों पर कहा कि अगर संक्रमित मरीजों की उम्र 60 साल से ऊपर होगी तो मृत्यु दर बढ़ेगी लेकिन वहीं अगर मरीजों की उम्र 60 से कम होगी तो मौत की दर में अपेक्षाकृत कमी देखने को मिलेगी। इशके पीछे का कारण बताते हुए डॉ. अनंत भान ने कहा कि कम उम्र के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक, जबकि को-मॉर्बिडिटी कम होती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बारत समेत दुनिया के कई देशों में कम उम्र के मरीजों की भी मौत हुई है इसलिए युवा और बुजुर्ग दोनों वर्गों को कोरोना से बचने के उपाय करने चाहिए।