दिल्ली में प्रदूषण क्यों नहीं हो रहा कम? सबसे बड़ी वजह आई सामने, जानें

Edited By Updated: 17 Nov, 2025 08:14 PM

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दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है और AQI 420 के पार पहुंच गया, जो इस साल का सबसे खराब स्तर है। आनंद विहार, रोहिणी, वजीरपुर और बवाना जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण 450 के करीब दर्ज हुआ। हवा की कम रफ्तार, धूल, वाहनों का धुआं और स्थानीय स्रोत...

नेशनल डेस्क : राजधानी दिल्ली एक बार फिर जहरीली हवा की चपेट में फंस गई है। सुबह-सुबह शहर के ऊपर मोटी धुंध की चादर बिछ गई, जो दृश्यता को तेजी से घटा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सुबह 10 बजे तक दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 420 के आसपास पहुंच गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। यह 2025 का अब तक का सबसे खराब स्तर है। शहर के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 33 पर AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहा है।

कौन से इलाके सबसे प्रभावित
दिल्ली के आनंद विहार, रोहिणी, वजीरपुर, बवाना, ओखला और द्वारका जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में स्थिति सबसे भयावह है। यहां AQI 450 के करीब पहुंच गया, जो सांस लेना भी मुश्किल कर देता है। आज के आंकड़ों में बवाना का AQI 427, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) क्षेत्र में 403, जहांगीरपुरी में 407, नरेला में 406, रोहिणी में 404, वजीरपुर में 401, अलीपुर में 386, आनंद विहार में 384 और अशोक विहार में 392 दर्ज किया गया। इन स्तरों पर बच्चे, बुजुर्ग और दमा-श्वास रोगियों के लिए घर से बाहर निकलना जानलेवा साबित हो सकता है।

दिवाली के बाद पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में भारी कमी आने के बावजूद हवा सुधरने का नाम नहीं ले रही। विशेषज्ञों का कहना है कि अब स्थानीय स्रोत और मौसम की मार सबसे बड़ी समस्या हैं।

मौसम प्रदूषण का मुख्य दोषी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) और सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के वैज्ञानिकों ने साफ किया कि नवंबर में प्रदूषण बढ़ाने में मौसम की भूमिका सबसे अहम है। IMD के अनुसार, हवा की रफ्तार सामान्य से काफी कम है, आज रात में यह केवल 4-6 किलोमीटर प्रति घंटा रही। इतनी धीमी हवा प्रदूषण के कणों को ऊपर उठने नहीं देती, बल्कि वे जमीन के पास ही घूमते रहते हैं।

SAFAR की रिपोर्ट में कहा गया कि 12 नवंबर को हवा की गति सामान्य से 60% कम थी, जिससे दिल्ली-NCR में PM2.5 और PM10 जैसे कण फंसकर रह गए। IMD वैज्ञानिकों ने दिल्ली की भौगोलिक स्थिति को 'कटोरी' से जोड़ा, उत्तर में अरावली पहाड़ियां और दक्षिण में यमुना नदी प्रदूषण को घेर लेती हैं। ठंड बढ़ने पर यह 'ट्रैप' और मजबूत हो जाता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर हवा की गति 12-15 किमी/घंटा तक पहुंच जाए, तो AQI में 30-40% की गिरावट आ सकती है। लेकिन अगले कुछ दिनों तक राहत की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही।

पराली कम, फिर भी प्रदूषण क्यों?
हर कोई यही सवाल पूछ रहा है पराली के मामले घटे, तो हवा क्यों बिगड़ रही? कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) के आंकड़ों से साफ है कि पंजाब में पराली जलाने के केस 37% और हरियाणा में 77% कम हुए, कुल मिलाकर 50% की गिरावट आई। फिर भी, दिल्ली में प्रदूषण चरम पर क्यों?

विशेषज्ञों का जवाब: अब जिम्मेदार स्थानीय स्रोत हैं। दिल्ली में रोजाना 22 लाख वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं, जो PM10 और PM2.5 का बड़ा हिस्सा उत्सर्जित करते हैं। सड़कों की धूल, निर्माण कार्यों से उड़ती मिट्टी, NCR के औद्योगिक इलाकों से निकलता धुआं और राजस्थान-उत्तर प्रदेश से आने वाली हवाओं में घुला प्रदूषण कुल मिलाकर हवा को जहरीला बना रहे हैं।

GRAP-3 लागू
प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए CAQM ने GRAP के तीसरे चरण को सक्रिय कर दिया है, जिसमें निर्माण कार्यों पर रोक, 10 साल से पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध और औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले की सुनवाई के लिए 17 नवंबर को बुलाया है, जहां CAQM को कदमों की रिपोर्ट पेश करनी होगी। IMD के पूर्वानुमान के मुताबिक, 19 नवंबर तक AQI 'गंभीर' श्रेणी में ही रहेगा।

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