Edited By Shubham Anand,Updated: 26 Oct, 2025 06:33 PM

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर पहुंच गया है, जिससे हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और हृदय व फेफड़ों के मरीजों पर पड़ रहा है। डॉक्टरों ने लोगों...
नेशनल डेस्क : एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण ने चिंता बढ़ा दी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर ‘खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया है, जो सभी के लिए खतरनाक है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और हृदय या सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है। दिल्ली के आकाश हेल्थकेयर अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आकाश चौधरी ने प्रदूषण से बचाव के लिए जरूरी सावधानियां और उपाय साझा किए हैं। आइए, जानते हैं कि इस जहरीली हवा से कैसे बचा जाए।
AQI 300 से ऊपर: बच्चों और मरीजों पर सबसे ज्यादा खतरा
जब AQI 300 से ऊपर जाता है, तो हवा में मौजूद हानिकारक कण (PM2.5 और PM10) फेफड़ों और खून में प्रवेश कर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए वे वयस्कों की तुलना में ज्यादा प्रदूषण अंदर लेते हैं, जिससे उनके फेफड़ों को नुकसान हो सकता है। अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और हृदय रोगियों में खांसी, गले में जलन, सांस फूलना और थकान जैसी समस्याएं तुरंत बढ़ जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को भी सांस लेने में दिक्कत और शिशु के स्वास्थ्य पर जोखिम का खतरा रहता है।
बाहर निकलते समय क्या करें?
डॉ. आकाश चौधरी ने सलाह दी है कि प्रदूषण के उच्च स्तर वाले दिनों में सुबह और शाम को खुले में व्यायाम से बचें, क्योंकि इस समय AQI सबसे ज्यादा होता है। बाहर निकलते समय N95 या N99 मास्क जरूर पहनें और ट्रैफिक या भीड़भाड़ वाले इलाकों में कम रुकें। घर लौटने के बाद चेहरा, हाथ और नाक अच्छी तरह धोएं। शरीर को डिटॉक्स करने के लिए खूब पानी पिएं और विटामिन सी व एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें जैसे नींबू, संतरा, अमरूद, टमाटर और हरी सब्जियां खाएं। ये प्रदूषण के दुष्प्रभावों से लड़ने में मदद करते हैं।
घर में कैसे रहें सुरक्षित?
कई लोग सोचते हैं कि घर के अंदर प्रदूषण का असर नहीं होता, लेकिन इनडोर एयर पॉल्यूशन भी खतरनाक हो सकता है। हवा को शुद्ध रखने के लिए स्नेक प्लांट, एलोवेरा और मनी प्लांट जैसे पौधे लगाएं। मोमबत्ती, धूप या अगरबत्ती का ज्यादा इस्तेमाल न करें, क्योंकि ये हानिकारक कण छोड़ते हैं। खिड़कियां केवल तभी खोलें, जब बाहर की हवा अपेक्षाकृत साफ हो। एसी और पंखे के फिल्टर नियमित रूप से साफ करें और घर में धूल न जमने दें।
दिल, फेफड़े और त्वचा के मरीजों के लिए विशेष सावधानी
अस्थमा और COPD रोगी: नियमित रूप से इनहेलर और दवाएं लें। डॉक्टर की सलाह के बिना दवा बंद न करें। AQI जांचने के बाद ही बाहर निकलें और यदि स्तर ‘खराब’ या ‘गंभीर’ हो, तो घर पर रहें। नाक और मुंह को रुमाल या मास्क से ढकें। दिन में 1-2 बार भाप लें या गरारे करें, इससे सांस की नलियां साफ रहेंगी।
हृदय रोगी: सीने में भारीपन, थकान या सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बाहर निकलते समय सावधानी बरतें और भीड़ वाले इलाकों से बचें।
त्वचा रोगी: प्रदूषण से होने वाली रूखी त्वचा और जलन से बचने के लिए रोजाना मॉइस्चराइजर और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। चेहरा धोने के बाद हल्का क्लींजर उपयोग करें।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
डॉ. चौधरी ने चेतावनी दी कि दिल्ली में AQI के 300 से ऊपर रहने की स्थिति में दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं, खासकर फेफड़ों और हृदय रोगों का खतरा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार और नागरिकों को मिलकर प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने होंगे, जैसे वाहनों का कम उपयोग, पेड़ लगाना और औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण। दिल्लीवासियों से अपील है कि वे AQI ऐप्स जैसे SAFAR या CPCB के मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करें और प्रदूषण की स्थिति पर नजर रखें।