Edited By Mehak,Updated: 23 Nov, 2025 06:23 PM

हाल ही में एक महिला कोच में इलेक्ट्रिक केतली लगाकर मैगी बनाती दिखी, जिसके बाद रेलवे ने चेतावनी जारी की। ट्रेन में हाई-वॉटेज उपकरण चलाना सख्त मना है क्योंकि इससे ओवरलोडिंग, शॉर्ट सर्किट और आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। रेलवे एक्ट के तहत ऐसे नियम...
नेशनल डेस्क : भारत में रोज लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं और कुछ यात्री अपनी सुविधाओं के लिए अजीब-ओ-गरीब चीजें साथ लेकर आते हैं। हाल ही में एक महिला यात्री कोच में इलेक्ट्रिक केतली लगाकर मैगी बनाती दिखी, जिसके बाद रेलवे ने कार्रवाई की। यह पहली घटना नहीं है, लेकिन इसे गंभीरता से लिया गया है क्योंकि ट्रेन कोई निजी जगह नहीं बल्कि पब्लिक सर्विस है।
ट्रेन में हाई-वॉटेज उपकरण क्यों खतरनाक हैं?
भारतीय रेलवे ने तय किया है कि यात्रियों को कोच में केवल मोबाइल, लैपटॉप या पावर बैंक जैसे लो-वॉटेज डिवाइस इस्तेमाल करने की अनुमति है। ट्रेन की पावर सप्लाई घरेलू सिस्टम जैसी नहीं होती, इसका लोड फिक्स होता है और कोच की वायरिंग उसी हिसाब से बनी होती है। इलेक्ट्रिक केतली, इंडक्शन, हीटर या अन्य हाई-वॉटेज उपकरण ज्यादा लोड खींचते हैं। इससे ओवरलोडिंग, शॉर्ट सर्किट, धुआं फैलना और आग जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। कोच में सैंकड़ों लोग सफर कर रहे होते हैं, इसलिए रेलवे इसे गंभीर सुरक्षा खतरे के रूप में देखता है।
जुर्माना और सजा
रेलवे एक्ट के सेक्शन 153 के तहत किसी भी हाई-वॉटेज उपकरण का उपयोग करने पर जुर्माना और छह महीने तक की सजा हो सकती है। अगर इस हरकत से कोच में आग या धुआं फैलता है, तो सेक्शन 154 लागू होता है, जिसमें जुर्माना और दो साल तक की सजा का प्रावधान है।
रेलवे का संदेश साफ है: ट्रेन में केवल सुरक्षित उपकरण ही इस्तेमाल करें। किसी भी नियम का उल्लंघन यात्रियों और ट्रेन की सुरक्षा दोनों के लिए खतरा है।