Dream11 होगा बैन? ऑनलाइन गेमिंग पर शिकंजा कसने को तैयार केंद्र सरकार

Edited By Updated: 20 Aug, 2025 08:25 AM

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ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार सट्टेबाजी और जुए से जुड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कड़ा कदम उठाने जा रही है। इसी दिशा में तैयार हो रहा है एक नया "ऑनलाइन गेमिंग रेगुलेशन बिल", जिसे कैबिनेट से...

नेशनल डेस्क:  ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार सट्टेबाजी और जुए से जुड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कड़ा कदम उठाने जा रही है। इसी दिशा में तैयार हो रहा है एक नया "ऑनलाइन गेमिंग रेगुलेशन बिल", जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है और अब लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल का मकसद सिर्फ खेल को कानूनी दायरे में लाना नहीं है, बल्कि उन ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स और वेबसाइट्स पर सख्त कार्रवाई करना है, जो युवाओं को सट्टेबाजी की लत में धकेल रही हैं।

इस बिल के तहत उन ऐप्स पर सीधा प्रहार किया जाएगा, जो बेटिंग (सट्टेबाजी) को बढ़ावा देते हैं — और इसमें सबसे बड़ा नाम Dream11 जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म्स का भी शामिल हो सकता है।
 
कड़े दंड का प्रस्ताव:- 7 साल की सजा, 10 लाख का जुर्माना
सरकार की योजना है कि सट्टेबाजी और जुए को अपराध की श्रेणी में रखा जाए। नए कानून के तहत, यदि कोई व्यक्ति ऑनलाइन बेटिंग या इससे जुड़े प्लेटफॉर्म्स का संचालन करता है, तो उसे अधिकतम 7 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। यह नियम सिर्फ उपयोगकर्ताओं ही नहीं, बल्कि प्रमोटर्स, सेलिब्रिटीज और इन Apps से जुड़ी कंपनियों पर भी लागू होगा।

बिना कौशल वाले गेम होंगे बैन, फैंटेसी गेम्स की होगी समीक्षा
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, ऑनलाइन गेम्स को दो वर्गों में बांटा जाएगा:-
गेम्स ऑफ स्किल (कौशल आधारित)
गेम्स ऑफ चांस (भाग्य आधारित)

कौशल आधारित गेम्स जैसे कि फैंटेसी स्पोर्ट्स को कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी जा सकती है, जबकि जुआ और बेटिंग से जुड़े खेल पूरी तरह से प्रतिबंधित होंगे। ड्रीम11 जैसी लोकप्रिय एप्स की भी कानूनी समीक्षा की जाएगी कि वे नियमों के भीतर हैं या नहीं।

सेलिब्रिटीज का प्रमोशन भी रहेगा निशाने पर
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोई भी सेलिब्रिटी, इन्फ्लुएंसर या सार्वजनिक व्यक्ति यदि सट्टेबाजी से जुड़े गेमिंग ऐप्स का प्रचार करता है, तो उस पर भी कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम युवाओं को गुमराह होने से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है।

1400+ Apps पहले ही बैन हो चुके हैं
पिछले 5 वर्षों में सरकार ने 1400 से ज्यादा ऐप्स को बैन किया है, जिनमें से अधिकांश का संबंध अवैध सट्टेबाजी, डेटा चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग से था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महादेव बुक जैसे बड़े रैकेट का भंडाफोड़ भी किया है, जो करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त पाया गया था।

कोर्ट की भी चेतावनी: पुराने कानून अप्रासंगिक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि 1867 का पब्लिक गैंबलिंग एक्ट अब डिजिटल युग के लिए उपयुक्त नहीं है। कोर्ट ने सरकार से नए डिजिटल जुए के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए एक हाई-लेवल समिति गठित करने का सुझाव दिया है।

राज्य बनाम केंद्र: एकीकृत कानून की ओर बढ़ते कदम
ऑनलाइन सट्टेबाजी एक ऐसा विषय है, जो केंद्र और राज्य दोनों के अधिकार क्षेत्र में आता है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पहले ही स्थानीय स्तर पर सख्ती की कोशिश की, लेकिन वीपीएन और इंटरनेशनल सर्वर के जरिए ऐप्स की पहुंच बनी रही। ऐसे में केंद्र अब राष्ट्रीय स्तर पर एक ठोस और एकीकृत कानून लाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

 

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