हवाई अड्डों पर क्या होता है ड्यूटी-फ्री शॉपिंग, वाकई यहां खरीदारी करना है फायदे का सौदा? जानें

Edited By Updated: 24 Nov, 2025 04:40 PM

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हवाई अड्डों के ड्यूटी-फ्री स्टोर यात्रियों को आकर्षित करते हैं, लेकिन हर टैक्स-फ्री छूट असली बचत नहीं देती। शराब, तंबाकू और परफ्यूम पर ज्यादा बचत होती है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स, हैंडबैग और मेकअप पर कम। मुद्रा दर, कार्ड शुल्क और एयरपोर्ट के खर्चों का...

नेशनल डेस्क : हवाई अड्डों के ड्यूटी-फ्री स्टोर यात्रियों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहे हैं। जब कोई यात्री इन स्टोर्स में प्रवेश करता है, तो पहली नज़र में ही व्हिस्की की सजी हुई बोतलें, ब्रांडेड परफ्यूम और टैक्स-फ्री के बड़े-बड़े बोर्ड मन को लुभा लेते हैं। इस दृश्य को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि खरीदारी का इससे बेहतर मौका शायद ही कहीं मिलेगा। लेकिन क्या यह सच में उतना फायदेमंद होता है जितना नजर आता है? यह समझना जरूरी है कि टैक्स नहीं लगना सिर्फ एक हिस्सा है; पैसे का असली हिसाब बहुत अलग हो सकता है।

ड्यूटी-फ्री शॉपिंग का मतलब क्या है?
सरल भाषा में कहा जाए तो ड्यूटी-फ्री शॉपिंग का अर्थ है कि विदेश यात्रा के दौरान खरीदी गई वस्तुओं पर स्थानीय टैक्स नहीं देना पड़ता। यह छूट विशेष रूप से उन यात्रियों के लिए है जो किसी विदेशी देश से भारत लौट रहे हैं। इसलिए आमतौर पर यह माना जाता है कि कीमतें कम होंगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि मूल कीमत यानी बेस प्राइस तय करने का अधिकार पूरी तरह स्टोर के पास होता है। दुकानदार चाहे तो कीमतें इतनी बढ़ा सकते हैं कि टैक्स-फ्री होने के बावजूद वस्तु महंगी लग सकती है। ऐसे में टैक्स-फ्री का टैग केवल एक आकर्षण बन जाता है, लेकिन वास्तविक बचत का संकेत नहीं देता।

मुद्रा और मार्क-अप का खेल
सिर्फ टैक्स हट जाने से किसी वस्तु की कीमत कम नहीं हो जाती। मुद्रा विनिमय दर, स्टोर का मुनाफा और आपके देश में लागू होने वाला टैक्स मिलकर अक्सर उस बचत को खत्म कर देते हैं। काउंटर पर जितनी कम कीमत दिखाई देती है, जब आप सभी खर्चों और शुल्कों को जोड़कर देखें, तो पता चलता है कि वह सामान आपके शहर की किसी दुकान से समान या कभी-कभी ज्यादा महंगा भी पड़ सकता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि हर एयरपोर्ट या हर ड्यूटी-फ्री स्टोर एक जैसी कीमतें नहीं देता।

स्थान के हिसाब से कीमतें बदलती हैं
ड्यूटी-फ्री में किसी वस्तु की कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप किस एयरपोर्ट से उड़ान भर रहे हैं। जिन एयरपोर्ट पर स्टोर का किराया, कर्मचारियों की सैलरी और सामान मंगाने का खर्च अधिक होता है, वहां ड्यूटी-फ्री स्टोर भी कीमतें बढ़ा देते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली एयरपोर्ट पर व्हिस्की की एक बोतल सस्ती हो सकती है, लेकिन सिंगापुर एयरपोर्ट पर वही बोतल महंगी मिल सकती है। यहां तक कि एक ही ब्रांड का परफ्यूम अलग-अलग एयरपोर्ट पर अलग-अलग कीमत पर बिक सकता है। इसलिए यह मान लेना कि आपको ड्यूटी-फ्री में समान कीमत हर जगह मिलेगी, सही नहीं है।

हर चीज़ खरीदना फायदे का सौदा नहीं

ड्यूटी-फ्री सेक्शन में हर वस्तु पर बचत नहीं होती।

सबसे ज्यादा फायदा: शराब, तंबाकू उत्पाद और परफ्यूम पर अधिक बचत होती है, क्योंकि इन पर घरेलू बाजार में टैक्स बहुत अधिक लगता है।

कम फायदा: इलेक्ट्रॉनिक्स, हैंडबैग और मेकअप जैसे सामान पर अक्सर कोई बड़ी बचत नहीं होती। इन वस्तुओं की शुरुआती कीमतें पहले से ही ऊंची होती हैं और टैक्स का असर कम होता है, इसलिए टैक्स हटने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।

खरीदारी करने से पहले अपने फोन या लैपटॉप पर उसी वस्तु की ऑनलाइन कीमत जरूर देखें। कई बार एयरपोर्ट स्पेशल प्राइस केवल आकर्षक दिखने के लिए रखा जाता है और यह सबसे महंगा साबित हो सकता है।

कार्ड चार्ज और मुद्रा बदलने का असर
विदेश में कोई वस्तु सस्ती लग सकती है, लेकिन कार्ड पर लगने वाले शुल्क और मुद्रा बदलने की दर को ध्यान में रखने पर यह आखिर में महंगी पड़ सकती है। कई क्रेडिट कार्ड विदेश में लेनदेन पर अलग से शुल्क लगाते हैं। इसके अलावा हवाई अड्डों पर मुद्रा बदलने की दरें अक्सर ग्राहकों के लिए लाभकारी नहीं होतीं। उदाहरण के लिए, यदि आप 60 पाउंड का परफ्यूम खरीदते हैं, तो आपके बैंक स्टेटमेंट में कटे हुए पैसे की राशि भारत में उस पर मिलने वाली कीमत से अधिक हो सकती है। ऐसे मामलों से बचने के लिए ट्रैवल कार्ड का इस्तेमाल करना और भुगतान से पहले मुद्रा दर जांचना बहुत जरूरी है।

मार्केटिंग और मनोविज्ञान का असर
ड्यूटी-फ्री स्टोर ग्राहकों के मनोविज्ञान को भलीभांति समझते हैं। ये स्टोर अक्सर खास यात्रा सेट, सुंदर पैकिंग वाले सामान और केवल एयरपोर्ट पर मिलने वाले प्रोडक्ट पेश करते हैं। यह सब ग्राहकों को प्रीमियम अनुभव देने और खरीदारी करने के लिए प्रेरित करने के लिए डिजाइन किया जाता है। लेकिन कई बार, आप वस्तु की वास्तविक कीमत की बजाय उसकी आकर्षक पैकेजिंग के लिए ज्यादा पैसे दे रहे होते हैं। इसलिए खरीदारी करने से पहले यह खुद से पूछना आवश्यक है कि क्या यह वास्तव में बचत है या केवल बिक्री बढ़ाने का तरीका।

कस्टम्स भत्ता: सीमा जानना जरूरी
ड्यूटी-फ्री में जितनी भी खरीदारी करें, यह हमेशा याद रखें कि कस्टम्स विभाग ही आपकी अंतिम सीमा तय करता है। नेपाल, भूटान और म्यांमार को छोड़कर, किसी भी अन्य देश से लौटते हुए भारतीय नागरिक 50,000 रुपये तक का सामान टैक्स-फ्री ला सकते हैं। इसमें 2 लीटर शराब और तंबाकू उत्पाद भी शामिल हैं। नेपाल, भूटान और म्यांमार से आने वाले यात्रियों के लिए यह सीमा केवल 15,000 रुपये है। तय सीमा से अधिक सामान लाने पर कस्टम ड्यूटी लागू हो सकती है और आपकी सारी बचत खत्म हो सकती है।

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