Edited By Anu Malhotra,Updated: 25 Jul, 2025 02:00 PM

भारत में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है। 1 अगस्त 2025 से देशव्यापी मतदाता सूची सत्यापन अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसका मकसद है वोटर लिस्ट को शुद्ध करना – यानी उसमें से फर्जी, मृत या दोहराए...
नेशनल डेस्क: भारत में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है। 1 अगस्त 2025 से देशव्यापी मतदाता सूची सत्यापन अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसका मकसद है वोटर लिस्ट को शुद्ध करना – यानी उसमें से फर्जी, मृत या दोहराए गए नामों को हटाना और केवल योग्य नागरिकों को ही वोटिंग का अधिकार देना।
क्या है यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान?
यह कोई सामान्य वोटर अपडेट नहीं है। इस बार चुनाव आयोग घर-घर जाकर वोटर वेरिफिकेशन करवा रहा है। यानी बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) हर मतदाता से दस्तावेज मांगेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि वह भारतीय नागरिक है और जिस पते पर उसका नाम दर्ज है, वह वहीं का वास्तविक निवासी है।
किन दस्तावेजों की ज़रूरत होगी?
-आधार कार्ड
-पासपोर्ट
-ड्राइविंग लाइसेंस
-पैन कार्ड
या अन्य सरकारी आईडी
इन दस्तावेजों से मतदाता की नागरिकता, उम्र और पता प्रमाणित किया जाएगा।
कैसे होगी पहचान की पुष्टि?
दस्तावेज सत्यापन: नागरिकता और पते की पुष्टि के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स मांगे जाएंगे।
बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन: फिंगरप्रिंट और फेस डेटा से पहचान की पुष्टि की जाएगी।
फिजिकल वेरिफिकेशन: BLO घर आकर यह जांचेंगे कि मतदाता उस पते पर रहता है या नहीं।
किन राज्यों में पहले से लागू?
बिहार इस मिशन का पहला टेस्टिंग ग्राउंड रहा है, जहां जून 2024 से यह प्रक्रिया शुरू हुई। अब तक करीब 35.6 लाख फर्जी, मृत या प्रवासी मतदाताओं के नाम हटाए जा चुके हैं। यही मॉडल अब पूरे भारत में लागू किया जा रहा है।
किस पर है खास नजर?
चुनाव आयोग ने यह भी संकेत दिया है कि बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों से अवैध रूप से आए लोगों की पहचान कर उनके वोटर आईडी रद्द किए जाएंगे।
हालांकि आयोग का दावा है कि बिहार में 88% से ज्यादा सत्यापन पूरा हो चुका है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कई BLOs और नागरिकों का कहना है कि "सत्यापन अभी तक शुरू ही नहीं हुआ"। यानी डेटा और धरातल में अंतर बना हुआ है।